'हैरानी है कि आपके वकील भी झूठ बोल रहे, कोई दैवीय शक्ति ही...', क्यों MCD पर बरस पड़े सुप्रीम कोर्ट के दोनों जज?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एमसीडी के वकील कह रहे हैं कि नगर निकाय ने तोड़फोड़ नहीं की, जबकि तस्वीरों साफ देखा जा सकता है कि एमसीडी के कार्यकारी अभियंता मशीनरी के साथ बिल्डिंग को गिराने के लिए आ रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (25 नवंबर, 2024) को दिल्ली नगर निगम (MCD) को फटकार लगाते हुए उनके काम करने के तरीके पर सवाल उठाए और कहा कि कोई दैवीय शक्ति भी आपको नहीं जगा सकती है. कोर्ट ने उस इमारत को ध्वस्त करने के लिए एमसीडी को कड़ी फटकार लगाई है, जिसमें एक पब्लिक लाइब्रेरी थी. पहली दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी (DPL) की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1951 में पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास की थी.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्ल भुइयां की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. उन्होंने सवाल किया कि पक्षकारों के सुप्रीम कोर्ट में जाने का इंतजार किए बिना नगर निगम उस इमारत को कैसे ध्वस्त कर सकता है जिसमें 1954 से डीपीएल स्थित है.
पीठ ने नगर निगम की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील से कहा, 'सालों से लोग आपको जगाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. कोई दैवीय शक्ति नहीं है जो आपको जगा सके, लेकिन इस मामले में, एक हफ्ते के अंदर ही आपने तेजी से काम किया और इमारत को गिरा दिया. हम न सिर्फ जांच का आदेश देंगे, बल्कि अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो इमारत की क्षतिपूर्ति का भी निर्देश देंगे.'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में 10 सितंबर, 2018 को एक आदेश पारित किया था और किरायेदारों और इमारत में रहने वाले अन्य लोगों को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मौका दिए बिना ही, एमसीडी ने 18 सितंबर, 2018 को सुबह 8:30 बजे इमारत को ध्वस्त कर दिया.
इसने कहा कि 18 सितंबर, 2018 को उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि उस इमारत के संबंध में यथास्थिति बनाए रखी जाए जिसमें पुस्तकालय था और इसकी जीर्ण-शीर्ण स्थिति के कारण इसे ध्वस्त किए जाने का खतरा था. बेंच ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि सुनवाई के दौरान एमसीडी के वकील ने कहा कि नगर निकाय ने तोड़फोड़ नहीं की है.
पीठ ने कहा कि बिल्डिंग के मालिक कोर्ट के संज्ञान में एक तस्वीर लाए हैं, जिसमें एमसीडी का एक कार्यकारी अभियंता भारी मशीनरी के साथ भवन को गिराने के लिए आता हुआ दिखाई दे रहा है. कोर्ट ने कहा, 'एमसीडी और प्रतिवादी संख्या 2 (मेसर्स डिंपल एंटरप्राइज) को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि किसके आदेश पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई.'
कोर्ट ने कहा कि अदालत को यह जानने की जरूरत है कि वे कौन सी छिपी हुई परिस्थितियां थीं जिनके कारण एमसीडी ने पक्षकार को सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार देने से इनकार कर दिया. नगर निकाय को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए बेंच ने विवाद से जुड़ी निजी कंपनी डिम्पल एंटरप्राइज से उसके संस्थापकों का विवरण देने और उन परिस्थितियों के बारे में बताने को कहा, जिनके कारण इमारत को गिराया गया. कोर्ट ने कहा कि उसका 18 सितंबर, 2018 का अंतरिम आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा.
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