सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (14 अक्टूबर, 2024) को कहा कि अगर उत्तर प्रदेश और राजस्थान में फैले ताज ट्रेपेजियम जोन (TTZ) में अनिवार्य पौधारोपण के उसके निर्देश का अधिकारियों ने पालन नहीं किया है, तो वह निर्माण कार्य गिराने और जमीन या राजमार्गों को उनकी मूल स्थिति में बहाल करने का आदेश देगा. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिन ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) को टीटीजेड के अंदर किठम स्टेशन और आगरा डिवीजन के भांडई स्टेशन के बीच एक बाईपास रेल लाइन के निर्माण के लिए 5,094 पेड़ों को काटने की अनुमति देने वाले आदेश पर रोक लगा दी. 


कोर्ट को जब रेलवे की ओर से बताया गया कि उन्हें नहीं पता कि वन विभाग ने कोर्ट की शर्तों के अनुरूप वनरोपण किया है या नहीं तो कोर्ट इस पर भड़क गया. कोर्ट ने रोक लगाते हुए कहा, 'हम सभी को यह स्पष्ट कर रहे हैं कि अवमानना ​​कार्रवाई के अलावा हम भूमि को उसकी स्थिति में बहाल कर देंगे. यदि आपने जमीन का उपयोग सार्वजनिक उद्देश्य के लिए और शर्तों का पालन किए बिना किया है, तो हम निर्देश जारी करेंगे कि भूमि को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाए.'


कोर्ट ने आगे कहा, 'इन सभी मामलों में हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि अगर पेड़ों की कटाई के बाद कुछ प्रगति हुई है, लेकिन अनिवार्य वनरोपण का अनुपालन नहीं किया गया है, तो जो निर्माण किया गया है, हम उसे ध्वस्त करने का आदेश पारित करेंगे.'


बेंच ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई से संबंधित मामलों पर विचार करते हुए टिप्पणी की. आरवीएनएल की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि कोर्ट की ओर से 13 मई, 2022 को 5,094 पेड़ों को काटने की अनुमति दिए जाने के बाद, उसने उत्तर प्रदेश वन विभाग को 50 हजार पेड़ लगाने के लिए आवश्यक राशि दे दी थी.


उन्होंने कहा, 'हम मथुरा जंक्शन और झांसी के बीच रेल लाइन के लिए उत्तर मध्य रेलवे के आगरा डिवीजन में एक बाईपास रेल लाइन का निर्माण कर रहे हैं, लेकिन हमें नहीं पता कि अदालत की शर्तों का अनुपालन हुआ या नहीं. अब वन विभाग हम पर जिम्मेदारी डाल रहा है.' बेंच ने वकील से कहा कि कोर्ट ने आरवीएनएल को पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी और यह देखना आरवीएनएल की जिम्मेदारी है कि शर्तों का अनुपालन हुआ या नहीं.


बेंच ने कहा, 'अगर पेड़ नहीं लगाए जाते हैं तो यह आपकी जिम्मेदारी है. आपने अदालत को कभी नहीं बताया कि वन विभाग शर्तों का अनुपालन नहीं कर रहा है इसलिए, हम अतिरिक्त रेलवे लाइन बिछाने और 13 मई, 2022 के आदेश पर रोक लगाने का निर्देश देंगे.'


उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से अनुपालन किया गया था और हो सकता है कि कम्यूनिकेशन नहीं हो पाया हो. बेंच ने कहा कि वह 18 नवंबर को जवाब पर विचार करेगी और उसने तब तक 13 मई, 2022 के आदेश पर रोक लगा दी. टीटीजेड उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों और राजस्थान के भरतपुर जिले में लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ताज महल और उसके आसपास के क्षेत्रों और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण और पर्यावरण संबंधी चिंताओं से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही है.


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