सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (9 सितंबर, 2024) को उत्तर प्रदेश सरकार के एक पूर्व अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा कि वह बार-बार झूठ बोल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूर्व अधिकारी से यह पूछने का निर्देश दिया है कि उनके खिलाफ क्यों कोर्ट की अवमानना का मामला नहीं चलाया जाना चाहिए. अधिकारी को पद से हटाया जा चुका है और उन पर कार्रवाई भी चल रही है. यह मामला एक कैदी की रिहाई की फाइल में देरी बरतने से जुड़ा है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि तीन बार से यह अधिकारी सिर्फ झूठ बोल रहे है.


जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. राजेश कुमार सिंह उत्तर प्रदेश प्रीजन एडमिनिस्ट्रेशन एंड रिफॉर्म्स डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव थे. कोर्ट ने उन्हें स्पष्टीकरण में देखे गए विरोधाभास पर स्पष्टीकरण देने का एक और मौका दिया था, लेकिन कोर्ट इस बार भी उनकी तरफ से जमा किए गए एफीडेविट से निराश था.


जस्टिस ओका ने पूर्व अधिकारी के एफिडेविट पर कहा, 'हमें लगा था कि इस बार यह अधिकारी पाक साफ निकलेंगे, लेकिन पिछली तीन बार की तरह इस बार भी ये झूठ ही बोल रहे हैं. इस बार भी आप क्लीन नहीं हैं और झूठ बोल रहे हैं. ये सरासर कोर्ट की अवहेलना है... आपकी इन हरकतों की वजह से किसी और की स्वतंत्रता खतरे में है.'  कोर्ट ने कहा कि ये पूरा वाकिया एक खेदजनक स्थिति को दिखाता है.


कोर्ट ने अधिकारी के एफिडेविट पर कहा कि इसे देखकर लगता है कि जो उन्होंने इसमें कहा है, वह उस रुख से बिलकुल अलग है, जो उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान दर्शाया था इसलिए लगता है कि उनका एफिडेविट झूठा है. कोर्ट ने आदेश दिया कि अधिकारी को नोटिस जारी करके पूछें कि उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए और क्यों झूठ बोलने के लिए एक्शन नहीं लेना चाहिए.


इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अधिकारी को पद से हटा दिया गया है और उनके खिलाफ कार्रवाई भी चल रही है.


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