सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (28 नवंबर, 2024) को कहा कि उत्तर प्रदेश की पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है और संवेदनशील होने की जरूरत है. कोर्ट ने ये चेतावनी भी दी कि अगर याचिकाकर्ता को छुआ भी तो ऐसा कोई कठोर आदेश पारित करेंगे कि जिंदगीभर याद रहेगा. यह मामला याचिकाकर्ता अनुराग दुबे का है, जिन पर अलग-अलग कई मामले दर्ज हैं. उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया, लेकिन वह पेश नहीं हुए, जिसे लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सवाल उठाए हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हो सकता है कि याचिकाकर्ता को ये डर है कि जांच के दौरान उस पर कोई और मामला दर्ज न कर दिया जाए.


जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही थी. सुनवाई करते हुए कोर्ट को इस बात पर गुस्सा आ गया कि उत्तर प्रदेश पुलिस याचिकाकर्ता पर एक के बाद एक कई एफआईआर दर्ज कर रही है. कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यूपी पुलिस एक खतरनाक एरिया में घुस रही है और अपनी पावर का इस्तेमाल करके वह मजे ले रही है. कोर्ट ने यूपी पुलिस के वकील से यह भी कहा कि अपने डीजीपी को बता देना कि कोर्ट ऐसा कठोर आदेश पास करेगा कि वह जिंदगी भर याद रखेंगे.


इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग दुबे के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था. अनुराग के खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 323, 386, 447, 504 और 506 के तहत एएफआईआर दर्ज हैं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ अन्य मामलों और अरोपों की प्रकृति के लिए यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था कि याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत क्यों नहीं दी जा रही है. इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्चा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और अनुराग दुबे से जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था. 


गुरुवार को यूपी सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट राणा मुखर्जी पेश हुए और उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश पर याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था. फिर भी वह पूछताछ के लिए अधिकारी के सामने पेश नहीं हुए और एफिडेविट भेज दिया. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हो सकता है याचिकाकर्ता को डर हो कि कहीं यूपी पुलिस फिर से कोई केस ने दर्ज कर दे.


जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'याचिकाकर्ता को पता है कि आप फिर से नया केस बना दोगे. आप अपने डीजीपी को बता सकते हैं कि अगर अनुराग दुबे को छुआ भी तो ऐसा आदेश पास करेंगे कि वह जिंदगीभर याद रखेंगे. हर बार आप नई एफआईआर के साथ आ जाते हो. किसी पर जमीन हड़पने का आरोप लगाना आसान है और जिसने पंजीकृत विक्रय पत्र द्वारा जमीन खरीदी है, आप उस पर जमीन हड़पने का आरोप लगा रहे हैं. ये सिविल विवाद है या आपराधिक विवाद है? हम बस बता रहे हैं कि यूपी पुलिस एक खतरनाक क्षेत्र में घुस रही है और मजे ले रही है. आपको लगता है कि पुलिस और सिविल कोर्ट की पावर आपके पास है तो आप मजे ले रहे हो.' 


कोर्ट ने अनुराग दुबे के वकील से भी पूछा कि याचिकाकर्ता जांच के लिए पेश क्यों नहीं हो रहे हैं. तब वकील ने बताया कि उन्हें इस बारे में कोई नोटिस नहीं भेजा गया है, जबकि याचिकाकर्ता ने पुलिस को अपना मोबाइल नंबर भी दिया है ताकि उन्हें बता दिया जाए कि जांच के लिए कब और कहां पेश होना है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने यूपी पुलिस के वकील से पूछा कि याचिकाकर्ता को किस तरह नोटिस भेजा गया था तो एडवोकेट ने बताया कि उन्हें लेटर भेजा गया था. इस पर जज ने कहा कि अब सब डिजिटल हो गया है इसलिए अनुराग दुबे के मोबाइल नंबर पर मैसेज भेजें. कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि याचिकाकर्ता को जांच में शामिल होने दिया जाए, पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी. अगर किसी मामले में अरेस्ट करने की जरूरत लगती है तो आएं और हमें बताएं कि ये कारण हैं इसलिए अरेस्ट करना है. हालांकि, अगर पुलिस अधिकारी कोर्ट को बगैर बताए गिरफ्तार करते हैं तो उन्हें सस्पेंड तो किया ही जाएगा साथ में और भी बहुत कुछ भुगतना पड़ेगा


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