सुप्रीम कोर्ट ने दी 9 पुलिसवालों को 7 साल की सज़ा, कहा- ताकत के साथ जिम्मेदारी जरूरी
पोस्टमार्टम में मौत की वजह पिटाई को न बताए जाने के चलते निचली कोर्ट ने पुलिसवालों को हत्या के आरोप से मुक्त किया था.
![सुप्रीम कोर्ट ने दी 9 पुलिसवालों को 7 साल की सज़ा, कहा- ताकत के साथ जिम्मेदारी जरूरी Supreme Court gives 9 policemen to 7 years sentence and said, Responsibility required with strength सुप्रीम कोर्ट ने दी 9 पुलिसवालों को 7 साल की सज़ा, कहा- ताकत के साथ जिम्मेदारी जरूरी](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/08/29105817/Supreme-Court.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: हिरासत में पिटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 9 पुलिसवालों को 7-7 साल कैद की सज़ा दी है. नागपुर के 25 साल पुराने इस मामले में जिस शख्स को पीटा गया था उसकी मौत हो गई थी. महाराष्ट्र सरकार ने सभी पुलिसवालों को हत्या का दोषी करार देते हुए उम्र कैद दिए जाने की मांग की थी.
सबूत के हिसाब से अधिकतम सज़ा सुप्रीम कोर्ट ने सभी पुलिसवालों को IPC की धारा 330 (गुनाह कबूल करवाने के लिए हिरासत में पिटाई) का दोषी माना है. दरअसल, पोस्टमार्टम में मौत की वजह पिटाई को न बताए जाने के चलते निचली कोर्ट ने पुलिसवालों को हत्या के आरोप से मुक्त किया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस निष्कर्ष को माना है. लेकिन घटना की रात पुलिसवालों के बर्ताव को निहायत आपत्तिजनक मानते हुए 7 साल की अधिकतम सज़ा दी है.
क्या है मामला? 23 जून 1993 को एक कांस्टेबल नागपुर के देवलपार पुलिस थाने के इंस्पेक्टर नरुले के पास तीन लोगों को लेकर पहुंचा. उनके साथ शहर के एक होटल में हुई लूट की घटना की जानकारी दी. उन लोगों ने घटना की कोई रिपोर्ट पुलिस में नहीं लिखवाई थी.
लेकिन रात को करीब 1 बजे इंस्पेक्टर 10 पुलिसवालों की टीम लेकर जॉइनस नाम के शख्स के घर पहुंच गया. जॉइनस पर पहले भी चोरी के कुछ मामलों में शामिल होने के आरोप लग चुके थे. पुलिस टीम ने जॉइनस को घर के बाहर एक खंभे पर बांध कर खूब पीटा. बाद में एक और जगह पर भी ले जाकर उसकी पिटाई की गई. फिर रात 3.45 पर उसे अधमरी हालत में लॉकअप में बंद किया गया. सुबह तक उसकी मौत हो चुकी थी.
पुलिस टीम पर जॉइनस की पत्नी ज़रीना के साथ छेड़छाड़ और उसके नाबालिग बच्चों को तंग करने के भी आरोप लगे. हालांकि, निचली कोर्ट में ये आरोप साबित नहीं हो सके. हाई कोर्ट ने 10 पुलिसवालों में से एक को सबूतों के अभाव में बरी किया. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी 9 लोगों को हिरासत में पिटाई का दोषी करार दिया.
कोर्ट की सख्त टिप्पणी जस्टिस एन वी रमना की बेंच ने फैसले में पुलिस को उसके फ़र्ज़ की याद दिलाई है. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, "शक्ति और जिम्मेदारी साथ चलते हैं. ज्यादा ताकत का मतलब है, बड़ी जिम्मेदारी. पुलिस का काम नागरिकों में ये भरोसा जगाना है कि देश में कानून का राज है. पुलिस को लोगों के लिए जवाबदेह बनना होगा. अपराध पर नियंत्रण जरूरी है लेकिन उसके लिए गलत तरीके नहीं अपनाए जा सकते."
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