सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद कैदियों के लिए जमानत मिलने के बाद रिहाई की प्रक्रिया को और आसान बना दिया है. अब कैदियों को जमानत के दस्तावेजों की हार्ड कॉपी के जेल प्रशासन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए अपने आदेशों को संबंधित पक्षों तक पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन के सिस्टम को लागू करने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत मिलने के बावजूद कैदियों को जेल से रिहाई में होने वाली देरी पर चिंता जताई थी. जुलाई में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमन्ना की अध्यक्षता में एक बेंच ने इस इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन के सिस्टम पर काम करने का सुझाव दिया था.
फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन आफ इलेक्ट्रानिक रिकार्ड्स (FASTER) नाम की इस योजना से अदालत के फैसलों की तेजी से जानकारी मिल सकेगी और उस पर तेजी से आगे की कार्यवाही संभव हो सकेगी. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हरएक जेल में हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा मुहैया कराने का भी निर्देश दिया है.
अब तेजी से लागू होंगे कोर्ट के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बताया, "FASTER सिस्टम के तहत अदालत के अंतरिम आदेश, स्टे ऑर्डर्स, बेल ऑर्डर्स और अदालत की कार्यवाही के रिकॉर्डस की ई-ऑथेंटिकेटेड (e-authenticated) कॉपी को संबंधित अधिकारियों और पक्षों तक पहुंचाया जाएगा. जिससे वो जल्द से जल्द इसे लागू कर सकें. ये सारी प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन के एक सुरक्षित चैनल के जरिये की जाएगी."
सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटेरी जनरल को इस FASTER सिस्टम के प्रपोजल पर काम कारने का निर्देश दिया गया था. इस प्रपोजल पर अपना आदेश सुनाते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमन्ना, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने गुरुवार को कहा, "हम जेल में बंद कैदियों को जमानत मिलने के बावजूद रिहाई में होने वाली देरी को लेकर चिंतित हैं. कोर्ट के आदेशों के तेजी से लागू होने के लिए सूचना और कम्यूनिकेशन की तकनीकों के इस्तेमाल का ये सही समय है."
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