Godhra Train Coach Burning Case: गोधरा ट्रेन अग्निकांड-2002 मामले के एक दोषी फारुक को आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जमानत दे दी है. फारुक पर साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) के जलते डिब्बे से लोगों को बाहर आने से रोकने के लिए पथराव का दोषी करार दिया गया था. कोर्ट ने 17 साल से जेल में बंद होने को आधार बनाते हुए जमानत दी है. इस मामले में फारुक आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा काट रहा था.


चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (CJI D Y Chandrachud) और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने दोषियों में से एक फारुक (Faruk) की ओर से पेश वकील की दलील पर गौर किया कि उसे अब तक की जेल में बिताए वक्त को देखते हुए जमानत दी जाए.


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने क्या कहा?


गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले के सभी दोषियों की अपील 4 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. बाकी दोषियों की जमानत और मुख्य अपील पर बाद में सुनवाई होगी. गुजरात सरकार (Gujarat Govt) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह सबसे जघन्य अपराध था, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था और दोषियों की अपील जल्द से जल्द सुनने की जरूरत है.


ट्रेन पर किया गया था पथराव


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने आगे कहा कि आमतौर पर पथराव करना मामूली प्रकृति का अपराध है. हालांकि, मौजूदा मामले में ट्रेन के कोच को बोल्ट किया गया था और यह सुनिश्चित करने के लिए पथराव किया गया था कि यात्री बाहर न आ सकें. इसके अलावा फायर टेंडर पर भी पत्थर फेंके गए थे. 


59 लोगों की गई थी जान


फारूक समेत कई अन्य लोगों को साबरमती एक्सप्रेस के कोच (Sabarmati Express Coach) पर पथराव (Pelting Stones) करने के जुर्म में दोषी ठहराया गया था. बता दें कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिससे राज्य में दंगे भड़क उठे थे.


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