Supreme Court: भारत में जन्मे पाकिस्तानी नागरिक को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत, कहा- 'जब तक पाक नहीं अपनाता, उसे राज्य विहिन नहीं कर सकते'
Indian-born Pakistani Mohd Qamar Case: भारत में जन्मे पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद कमर की पत्नी और सभी बच्चे भारतीय हैं और सबके पास अपने आधार कार्ड हैं.
Indian-born Pakistani Citizen Mohd Qamar Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार (21 अक्टूबर) को 63 वर्षीय मोहम्मद कमर (Mohd Qamar) को जमानत पर भारत में रहने की इजाजत दे दी. मोहम्मद कमर का जन्म भारत में हुआ था. आठ वर्ष की उम्र में वह अपनी मां के साथ अपने रिश्तेदारों से मिलने पाकिस्तान (Pakistan) गए थे. मां के आकस्मिक निधन के कारण वह पाकिस्तान में ही रह गए. इसके बाद वह पाकिस्तानी पासपोर्ट (Pakistan Passport) लेकर भारत (India) में रहने आ गए. वहीं, पाकिस्तान उन्हें अपना नागरिक मानने से इनकार करता है.
टीओआई की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज (Additional Solicitor General KM Nataraj) से कहा कि जब तक पाकिस्तान की सरकार कमर को अपना नागरिक स्वीकार नहीं करती है, उन्हें राज्य-विहीन व्यक्ति (State Less Person) के रूप में नहीं छोड़ा जा सकता है. कोर्ट ने कहा, ''जब तक उन्हें केंद्र या उत्तर प्रदेश सरकार सुरक्षा के लिए खतरा नहीं मानती है, हम भारतीय नागरिकता की मांग करने वाली उनकी बेटी की याचिका को स्वीकार करेंगे और उन्हें जमानत पर रखेंगे.''
इतनी सजा काट चुके हैं मोहम्मद कमर
मोहम्मद कमर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसी साल अप्रैल में दिल्ली के लामपुर डिटेंशन सेंटर से रिहा किया गया था. उन्हें 2015 में फॉरनर्स एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया था. मेरठ की एक अदालत ने उन्हें भारत में अवैध रूप से रहने के लिए दोषी माना था. अप्रैल तक वह डिटेंशन सेंटर में साढ़े तीन की साल सजा काट चुके थे.
बेंच ने कहा कि जब तक वह सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हैं, उसकी शादी एक भारतीय से हुई है और उनके पांच बच्चे हैं और वे सभी भारतीय हैं, कमर इस उम्र में जमानत के लिए कुछ मदद की तलाश कर सकते हैं, खासकर जब पाकिस्तान उच्चायोग दो बार कांसुलर एक्सेस देने के बावजूद उनकी पाकिस्तानी नागरिकता की पुष्टि नहीं कर रहा है.
कमर के पाकिस्तान जाने और भारत आने की कहानी
1959 में भारतीय माता-पिता के घर जन्मे कमर आठ वर्ष की उम्र में अपनी मां के साथ लाहौर में अपने रिश्तेदार के यहां गए थे. दुर्भाग्य से वीजा अवधि समाप्त होने से पहले उनकी मां का निधन हो गया था. उन्हें उनके रिश्तेदारों के यहां ही देखभाल किए जाने के लिए छोड़ दिया गया था. युवा होने पर उन्हें पाकिस्तानी पासपोर्ट मिल गया और 1989-90 में वह भारत आ गए. भारत पहुंचने के कुछ दिनों बाद मेरठ की रहने वाली शहनाज बेगम से उनकी शादी हो गई.
शादी के अगले छह वर्षों में उनके पांच बच्चे हुए- तीन बेटे और दो बेटियां. उनकी बेटी के वकील संजय पारिख ने अदालत को बताया कि कमर का वीजा बहुत पहले एक्सपायर हो गया था लेकिन अनपढ़ होने के कारण उन्होंने उसे कभी रिन्यू कराने की जहमत नहीं उठाई.
पिता की नागरिकता के लिए लड़ रही बेटी
वीजा एक्सपायर होने के बाद कमर को आठ अगस्त 2011 को फॉरनर्स एक्ट के तहत पहली बार गिरफ्तार किया गया था. मेरठ की अदालत ने उन्हें साढ़े तीन साल की सजा सुनाई थी. कमर की बेटी अना परवीन ने इस आधार पर अपने पिता की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया कि उन्होंने अधिकारियों के साथ-साथ दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने और मेरठ में अपने परिवार के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की है. बता दें कि कमर की पत्नी और उनके सभी बच्चों के आधार कार्ड बने हैं.
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