Supreme Court Grant Bail to Juvenile: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (16 अगस्त 2024) को नाबालिगों को जमानत देने के संबंध में अहम टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी आपराधिक मामले में नाबालिग को जमानत देने से तब तक इनकार नहीं किया जा सकता, जब तक कि अदालत यह सुनिश्चित न कर ले कि नाबालिग का किसी ज्ञात अपराधी से संबंध होने की आशंका है या वह नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक खतरे में हो सकता है या फिर उसकी रिहाई से न्याय का उद्देश्य विफल हो जाएगा.


न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राजस्थान उच्च न्यायालय और किशोर न्याय बोर्ड के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें एक नाबालिग को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. आरोपी पर एक नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया था. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि आक्षेपित आदेश रद्द किए जाते हैं... और अपील स्वीकार की जाती है.


बिना जमानतदार के रिहा करने के आदेश


पीठ ने ये भी कहा कि अपराध का आरोप झेल रहा नाबालिग एक साल से अधिक समय से हिरासत में है, इसलिए उसे बिना किसी जमानतदार के जमानत पर रिहा किया जाए. न्यायालय ने कहा, “हालांकि, क्षेत्राधिकार वाला किशोर न्याय बोर्ड, जूरिडिक्शन प्रोबेशन ऑफिसर को नाबालिग को निगरानी में रखने और उसके आचरण के बारे में बोर्ड को समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उचित निर्देश जारी करेगा.”


15 अगस्त 2023 को पुलिस ने पकड़ा था


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लड़के को 15 अगस्त, 2023 को हिरासत में लिया गया और किशोर देखभाल गृह भेज दिया गया. मामले में आरोप पत्र 25 अगस्त, 2023 को दाखिल किया गया. हिरासत के बाद से उसने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 12(1) के तहत दो बार जमानत याचिका दायर की, लेकिन उसकी अर्जी खारिज कर दी गई और यहां तक ​​कि उच्च न्यायालय ने भी जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ उसकी अपील खारिज कर दी.


ये भी पढ़ें


कोलकाता रेप-मर्डर केस: आज पूरे देश में डॉक्टरों की हड़ताल, परिजन बोले- अपराध में सहकर्मी भी शामिल