सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हाशिमपुरा नरसंहार मामले में आठ PAC कर्मचारियों को जमानत
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हाशिमपुरा नरसंहार मामले में आठ PAC कर्मचारियों को जमानत दे दी है. ये कर्मचारी दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद लंबे समय से जेल में थे.
Hashimpura Massacre Case: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (PAC) के 16 पूर्व कर्मचारियों में से 8 को जमानत दी. ये कर्मचारी हाशिमपुरा नरसंहार मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से बरी किए गए थे, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने 2018 में उनकी बरी करने की सजा को पलट दिया था. इस फैसले के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर की.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति ए एस ओका और ए जी मसीह की बेंच ने अभियुक्तों के दावे पर विचार किया जिसमें उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट की ओर से बरी किए जाने के फैसले को पलटने के बाद उन्हें लंबे समय तक कारागार में रखा गया था. उनके वकील सीनियर अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने यह तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट का फैसला जो 23 मार्च 2015 को दिया गया था उचित और ठोस था. उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले को गलत ठहराया और यह भी कहा कि अभियुक्तों ने मुकदमे के दौरान अनुकरणीय आचरण दिखाया था.
क्या है हाशिमपुरा नरसंहार की घटना के पीछे की कहानी?
1987 में मेरठ जिले में सांप्रदायिक दंगों के बाद हाशिमपुरा मोहल्ले में पुलिस, अर्धसैनिक और सैन्य बलों की तैनाती की गई थी जिसमें PAC की 41वीं बटालियन की 'C-Company' भी शामिल थी. 21 मई 1987 को हाशिमपुरा मोहल्ले के पास एक आर्मी मेजर के भाई की हत्या कर दी गई थी और PAC के दो राइफल लूट ली गई थीं. इसके बाद ही हाशिमपुरा नरसंहार की घटनाएं घटीं जिसमें कई लोग मारे गए.
हाई कोर्ट ने पलटा ट्रायल कोर्ट का फैसला
ट्रायल कोर्ट ने 2015 में अभियुक्तों को बरी कर दिया था, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने 2018 में इस फैसले को पलटते हुए उन्हें दोषी ठहराया. इसके खिलाफ अभियुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिसके बाद जमानत देने का आदेश दिया गया. इस फैसले से जुड़े कई सवाल अब भी कोर्ट के समक्ष हैं जिनका समाधान होना बाकी है.
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