'व्यक्ति की स्वतंत्रता नियम है', PMLA जैसे गंभीर मामले में किसे जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की ये अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए भी जमानय नियम और जेल अपवाद का जिक्र किया था. कोर्ट ने कहा कि यह बात पीएमएलए के तहत दर्ज मामलों पर भी लागू होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (28 अगस्त, 2024) को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेम प्रकाश को जमानत दे दी है. वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दर्ज अवैध खनन से संबंधित मामले में जेल में बंद हैं. कोर्ट ने प्रेम प्रकाश को राहत देते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में भी जमानत नियम है और जेल में रखना अपवाद है.
जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि कोर्ट का मानना है कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज मामलों में भी जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है. 19 दिन पहले दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को जमनात देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यही बात कही थी. मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त को दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में करीब 17 महीने बाद बेल मिली थी.
बेंच ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और धन शोधन मामले में आरोपी की जमानत के लिए दोहरी शर्तें रखने वाली पीएमएलए की धारा 45 में भी सिद्धांत को इस तरह से नहीं लिखा गया कि स्वतंत्रता से वंचित करना नियम है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े धनशोधन और भ्रष्टाचार मामलों में नौ अगस्त के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा इससे वंचित किया जाना अपवाद है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'पीएमएलए की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तें इस सिद्धांत को खत्म नहीं करतीं.' बेंच ने प्रेम प्रकाश को जमानत दे दी है. प्रवर्तन निदेशालय ने प्रेम प्रकाश को हेमंत सोरेन का करीबी सहयोगी बताया है और उन पर राज्य में अवैध खनन में शामिल होने का आरोप है.
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के 22 मार्च के आदेश को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में प्रेम प्रकाश को जमानत देने से इनकार कर दिया था. साथ ही कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत को मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया.
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