सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में मुंबई के गोरेगांव में हुए सॉफ्टवेयर इंजीनियर रेप और हत्याकांड मामले में फांसी की सजा पाने वाले दोषी को बरी कर दिया है. चंद्रभान सुदाम सानप नाम के आरोपी को निचली अदालत और बॉम्बे हाई कोर्ट ने फांसी की सजा दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की तरफ से जुटाए गए सबूतों को नाकाफी बताया.


2015 में मुंबई की सेशंस कोर्ट ने ईस्टर अनुहया के साथ हुई बर्बरता को दिल्ली के 2012 के निर्भया कांड के जैसा बताते हुए चंद्रभान सानप को फांसी की सजा दी थी. 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इसकी पुष्टि की थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने चंद्रभान को बरी कर दिया है.


मूल रूप से आंध्र प्रदेश की रहने वाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर ईस्टर अनुहया मुंबई के गोरेगांव में सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस में काम करती थीं. 2014 में उनके साथ बलात्कार किया गया और बाद में हत्या कर दी गई. हत्या के बाद पेट्रोल से शव को जलाने का भी प्रयास किया गया. निचली अदालत ने यह माना था कि चंद्रभान सानप ने पूरी योजना बनाकर 23 साल की महिला के साथ अपराध किया. उसके अपराध का तरीका भी बेहद क्रूर था. इस आधार पर निचली अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर श्रेणी का अपराध बताते हुए उसे मृत्युदंड दिया था.


 


 


 


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