ED Official Bail: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी अंकित तिवारी को बुधवार (20 मार्च) को अंतरिम जमानत दे दी. तमिलनाडु सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) ने अंकित तिवारी को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने अंकित तिवारी को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि वह मामले में गवाहों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क नहीं करेंगे या उन्हें प्रभावित नहीं करेंगे.
'बिना तमिलनाडु से बाहर नहीं जाएंगे'
पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना तमिलनाडु से बाहर नहीं जाएंगे और अपना पासपोर्ट जमा करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट की ओर से उन्हें जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ अंकित तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है.’’
अंकित तिवारी के खिलाफ मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी ईडी की ओर से दायर एक अलग याचिका भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए रखी गई. पीठ ने ईडी को मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा और इसे 18 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. मदुरै में ईडी के उप-क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात अधिकारी अंकित तिवारी को एक दिसंबर, 2023 को तमिलनाडु सरकार के एक अधिकारी से 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त करने का किया गया दावा
उनकी गिरफ्तारी के बाद, ईडी ने तमिलनाडु पुलिस प्रमुख शंकर जीवाल के पास शिकायत दर्ज की थी और राज्य सतर्कता अधिकारियों पर मदुरै में उसके क्षेत्रीय कार्यालय से मामले के रिकॉर्ड चुराने का आरोप लगाया. वहीं दूसरी ओर, डीवीएसी ने दावा किया था कि तलाशी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किये गये थे.
राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) और अन्य प्रमुख विपक्षी पार्टियां अक्सर केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को परेशान करने के लिए अपनी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाती रही है.
अंकित तिवारी के खिलाफ मामला सीबीआई को स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी ईडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा था. ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह मामले में निष्पक्ष और समुचित जांच चाहता है.