सुप्रीम कोर्ट ने दहेज हत्या के आरोपी को तीन साल की बेटी की देखभाल के लिए 6 हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत दे दी है. आरोपी पेशे से एक डॉक्टर बताया जा रहा है जिसकी मृतक पत्नी भी डॉक्टर थी.


दरअसल, तीन साल की बच्ची को शरीर में कुछ बीमारियां हैं और दावा किया गया कि उसकी देखभाल के लिए इस वक्त कोई भी नहीं है. आरोपी डॉक्टर के ससुर ने भी इस आधार पर जमानत को देने का सुप्रीम कोर्ट के सामने समर्थन जाहिर किया.


बताया जा रहा है कि ससुर ने ही दामाद के खिलाफ दहेज हत्या, उत्पीड़न समेत अन्य अपराधों के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. वहीं, जस्टिस इंडिरा बनर्जी सेमेत जस्टिस एसआर शाह की पीठ ने ये देखते हुए कि आरोपी के ससुर को जमानत दिए जाने पर आपत्ति नहीं है तो आरोपी को 6 हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत देने का निर्णय लिया.


जानकारी के मुताबिक, इससे पहले आरोपी के वकील ने पीठ से कहा था कि डॉक्टर पर हत्या का आरोप पूरी तरह झूठा है. उन्होंने कहा कि बीमार बच्ची की देखभाल के लिए इस वक्त कोई नहीं है साथ ही जो हैं वो असमर्थ हैं इसलिये बच्ची के पति को जमानत दी जाए.


क्या है मामला


आइये अब समझते हैं कि आखिरकार पूरा मामला क्या है. दरअसल, आरोपी डॉक्टर की शादी साल 2014 में दिप्ती अग्रवाल नाम की लड़की से हुई थी जो खुद पेश से डॉक्टर थी. दिप्ती के पिता की माने तो शादी में करीब 1.5 करोड़ रुपया खर्च किया गया था. वहीं, आरोपी डॉक्टर के खिलाफ दर्ज एफआईआर के अनुसार, दप्ति पर शादी के बाद से दहेज के लिए दबाव डाला गया और उसके साथ मार-पीट भी हुई. एफआईआर में ये भी कहा गया कि दिप्ती का दो बार गर्भपात भी हुआ. वहीं, बच्चा ना होने के कारण उन्होंने एक बच्चे को गोद लिया.


एफआईआर में आगे कहा गया कि, बीते साल तीन अगस्त को आरोपी पति और उसके ससुराल वालों ने दिप्ती के साथ मारपीट की और उन पर शंका ना हो इसलिए दिप्ती को अस्पताल में दाखिल करा दिया. जिसके बाद दिप्ती को फरीदाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसने दम तोड़ दिया.


मिली जानकारी के मुताबिक, पहले इस पूरे मामले की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही थी लेकिन बाद में अदालत ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था.


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