बिहार के शराब बंदी कानून के चलते अदालतों में बढ़ते मुकदमों की संख्या पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा है कि क्या उसने यह कानून लागू करने से पहले यह देखा कि इसके लिए अदालती ढांचा तैयार है या नहीं? अगर उसने इस तरह का कोई अध्ययन किया था तो कोर्ट और जजों की संख्या बढ़ाने को लेकर उसने क्या कदम उठाए हैं?
शराबबंदी कानून के उल्लंघन के आरोपी एक आरोपी सुधीर कुमार यादव उर्फ सुधीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि बिहार से इस तरह के मामले लगातार सुप्रीम कोर्ट में आ रहे हैं.
जमानत से मना करने पर जेलों में बढ़ेगी भीड़
राज्य के निचले की निचली अदालतों में शराबबंदी कानून से जुड़े मुकदमों की बड़ी संख्या है. यहां तक कि ऐसे भी मौके आए हैं जब पटना हाई कोर्ट के 16 जजों को इस कानून से जुड़े जमानत के मामले सुनने पड़े हैं. अगर ज़मानत से मना किया जाता है तो इससे जेलों में भी भीड़ बढ़ेगी. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) अधिनियम, 2018 लागू करते समय क्या बिहार सरकार ने कोई अध्ययन किया? यह देखा कि इसके लिए न्यायिक ढांचा तैयार है या नहीं?
कोर्ट ने कहा कि एक सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह कानून बनाते समय उसके सभी पहलुओं को देखें कोर्ट ने जानना चाहा है कि अदालती ढांचे को विकसित करने के लिए बिहार सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या इस कानून में बिहार सरकार प्ली बारगेनिंग का प्रावधान जोड़ेगी?
क्या है प्ली बारगेनिंग
प्ली बारगेनिंग वह कानूनी प्रावधान है जिसमें किसी अपराध का आरोपी जज के सामने अपने ऊपर लगे आरोप स्वीकार करता है. इसके चलते कोर्ट उसे सज़ा में कुछ रियायत दे देता है. 2 जजों की बेंच ने बिहार सरकार को इन सभी पहलुओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 8 मार्च तय की है.