Supreme Court on Hate Speech Case: देश में पिछले दिनों हेट स्पीट (Hate Speech) के मामलों में काफी तेजी देखी गई है. कई नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं और सुप्रीम कोर्ट ने भी हेट स्पीच पर फटकार लगाई है. वहीं, अब हेट स्पीच से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (15 नवंबर) को यह बताया गया कि 2014 के बाद से राजनेताओं और सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ कथित अभद्र भाषा के मामलों में लगभग 500% की वृद्धि हुई है. यह मामला बुलंदशहर बलात्कार की घटना से उपजा है, जिसमें राज्य के तत्कालीन मंत्री आजम खान ने घटना को 'राजनीतिक साजिश' के रूप में खारिज कर दिया था. याचिकाकर्ता का दावा है कि समय के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में 'घृणास्पद भाषण' के कई उदाहरण सामने आए हैं. 


याचिकाकर्ता ने कहा, "राजनीतिक प्राधिकरण के उच्चतम स्तरों पर व्यक्त घृणास्पद भाषण अनियंत्रित रहते हैं और नई नीतियों ने अंतर-सांप्रदायिक तनाव और अपराधियों के लिए दण्ड मुक्ति का माहौल बढ़ा दिया है." याचिकाकर्ता ने ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अभद्र भाषा के प्रसार के लिए 'सांठगांठ' करने का आरोप लगाया. याचिकाकर्ता ने कहा कि राजनीतिक नेताओं के इस तरह के भाषण उनके बहिष्करण के एजेंडे का उदाहरण देते हैं और हिंसा को उकसाने के लिए जमीन प्रदान करते हैं.


जस्टिस अब्दुल नजीर, बीआरगवई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यन और बीवी नागरत्ना की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. 2016 में इस मामले को एक बड़ी बेंच के पास भेजा गया था.


सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार


इससे पहले, 21 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था, "यह 21वीं सदी है. हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं?" कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ऐसे मामलों के खिलाफ खुद कार्रवाई करें या अवमानना ​​के आरोपों का सामना करें. अदालत ने कहा, "अगर अधिकारी कार्रवाई करने में विफल रहते हैं तो अवमानना ​​शुरू की जाएगी."


हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी


सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि भारत में मामलों की स्थिति "एक ऐसे देश के लिए चौंकाने वाली थी जिसे धर्म-तटस्थ माना जाता है." जजों ने कहा, "भारत का संविधान व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करने वाले नागरिकों के बीच एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र और बंधुत्व की परिकल्पना करता है. राष्ट्र की एकता और अखंडता प्रस्तावना में निहित मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक है."


तीन राज्यों को रिपोर्ट देने के आदेश


इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने तीन राज्यों- दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को अभद्र भाषा की घटनाओं में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण देने वाली एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया. अदालत की बेंच ने कई अधिकारियों से अभद्र भाषा की घटनाओं पर नकेल कसने और अदालत को एक रिपोर्ट पेश करने का भी आग्रह किया.


हेट स्पीच में 500 प्रतिशत का इजाफा


गौरतलब है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की हालिया रिपोर्ट में हेट स्पीच को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ था. इसमें बताया गया था कि पिछले सात सालों में हेट स्पीच के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. ऐसे मामलों में रिकॉर्ड 500 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. NCRB डेटा के मुताबिक, 2014 में हेट स्पीच के सबसे कम 323 मामले दर्ज किए गए, जो 2020 में बढ़कर 1804 हो गए.


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