नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला देने के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से इस मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है. बता दें कि याचिका में यूपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला देने के नियम को चुनौती दी गई है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 मार्च को होगी.

इस मामले में एमिकस क्युरी गोपाल सुब्रमण्यम ने पूर्व प्रधानमंत्रियों और पूर्व राष्ट्रपतियों को भी सरकारी बंगला देने को गलत बताया है. इसलिए कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से भी पक्ष रखने को कहा है. बता दें कि साल 2016 के अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने बंगला खाली कराने का आदेश दिया था.

अगस्त में जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगला खाली कराने का आदेश दिया गया था, वो हैं- मायावती, मुलायम, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, रामनरेश यादव और एनडी तिवारी. इन सब को भी अवमानना याचिका में पक्ष बनाया गया था.

उत्तर प्रदेश में इस कानून के विरुद्ध मुख्यमंत्री खुद ही अपने आप को दूसरा बंगला आवंटित कर रहे थे. पद से हटने के बाद वो उस बंगले में रहना शुरू कर देते थे. यानी एक समय में न सिर्फ एक से ज़्यादा बंगले ले रहे थे, बल्कि बिना कानूनी प्रावधान के पद छोड़ने के बाद भी सरकारी बंगले में रह रहे थे.

साल 1997 में यूपी सरकार ने एक नियम बनाया जिसके तहत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास आवंटित करने का प्रावधान लाया गया. सरकार का तर्क था कि पूर्व मुख्यमंत्री जनता की सेवा करते हैं, इसलिए उन्हें ये सुविधा दी जाती है. वहीं, सुरक्षा के लिहाज से भी सरकारी आवास देना जरूरी है.