Supreme Court On Forced Conversion: जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कड़ा कानून बनाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई होने वाली है. पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्म परिवर्तन को बड़ा गंभीर मसला बताया था. जस्टिस एमआर शाह ने कहा था कि सभी को धर्म चुनने का अधिकार है, लेकिन धर्मांतरण से नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर केंद्र सरकार से भी उनका पक्ष रखने को कहा था. कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने दवाब, धोखे या लालच से धर्म परिवर्तन को बड़ा गंभीर मसला बताया था. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि धर्म का प्रचार करना एक मौलिक अधिकार है, लेकिन किसी का धर्म बदल देना कोई अधिकार नहीं है. सरकार इस मामले पर जरूरी कदम उठाएगी.
केंद्र ने कानून बनाने की बात कही!
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में जस्टिस एमआर शाह ने कहा था कि अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर रहा है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर उनको किसी भी प्रकार का लालच, डर या धमकी से ऐसा कराया जा रहा है, तो ये गंभीर विषय है. वहीं केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए वो उचित कदम उठाएंगे.
गुजरात सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट
इस बीच इसी मामले पर गुजरात सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है. गुजरात सरकार ने हलफनामा दायर करके जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की है. गुजरात सरकार की ओर से कहा गया है कि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में लोगों को बलपूर्वक या लालच देकर धर्म परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है, इसलिए उसने राज्य में धर्मांतरण रोकने के लिए कानून पारित किया है. गुजरात सरकार ने तो जबरन धर्मांतरण को मौलिक अधिकार का हनन बताया है.
किसने दाखिल की है याचिका?
वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दाखिल इस याचिका में तमिलनाडु के लावण्या केस का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से दखल की मांग की गई है. तंजावुर की 17 साल की छात्रा लावण्या ने इस साल 19 जनवरी को कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली थी. इससे ठीक पहले उसने एक वीडियो बनाया था.
उस वीडियो में लावण्या ने कहा था कि उसका स्कूल 'सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी' उस पर ईसाई बनने के लिए दबाव बना रहा है. इसके लिए लगातार किए जा रहे उत्पीड़न से परेशान होकर वह अपनी जान दे रही है. मद्रास हाईकोर्ट ने घटना की जांच सीबीआई को सौंपी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराया था.
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