नई दिल्ली: कर्नाटक के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट में 16 बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई जारी है. सुनवाई के दौरान बागी विधायकों ने कहा है कि हमने इस्तीफा दिया है. पार्टी के खिलाफ वोट नहीं देना चाहते. हमें न तो पार्टी का समर्थन करना है और न विरोध करना है. फिर हमें बाध्य क्यों किया जा रहा है? बागी विधायकों ने यह भी कहा कि हम लोगों के बीच जाएंगे. चुनाव लड़ना होगा तो लड़ेंगे. नहीं लड़ना होगा तो नहीं लड़ेंगे. हमें बांध कर रखने की कोशिश हो रही है.


सुनवाई शुरू होने पर बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘’ अगर अयोग्यता की कार्रवाई पहले शुरू हो गयी हो तब भी इस्तीफा दिया जा सकता है और स्पीकर उसे स्वीकार कर सकता है.’’ इसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, ‘’इस्तीफा कब दिया गया और अयोग्यता का आवेदन कब दिया गया तारीख बताएं? मुकुल रोहतगी ने बताया कि अयोग्यता का आवेदन इस्तीफे के बाद 10 जुलाई को दाखिल किया गया था.


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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, ‘’अयोग्यता आवेदन किस आधार पर दाखिल हुए?’’ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘’अयोग्यता आवेदन सदन के बाहर की गतिविधियों के लिए दाखिल हुआ. इसमें पार्टी की बैठक में न जाना, पार्टी लाइन से अलग बात करना आदि बातें शामिल हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘’आयोग्यता प्रक्रिया इस्तीफा स्वीकार करने के बाद भी चलती रह सकती है. स्पीकर पहले इस्तीफा स्वीकार करें. वह समय बर्बाद कर रहे हैं. दो फरवरी को दाखिल अयोग्यता आवेदन पर भी अब तक फैसला नहीं हुआ है.’’


जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या इस्तीफा स्वीकार होने पर आप तुरंत मंत्री बन सकते हैं? तो मुकुल ने कहा, ‘’अयोग्यता के चलते मंत्री न बन पाना सिर्फ कुछ महीनों की सज़ा है. इसे बड़ा करके दिखाया जा रहा है. विधायकों का गलत तरीके से चित्रण किया जा रहा है.’’


इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर कैसे निर्णय लें, इस पर हम उन्हें आदेश नहीं देंगे. लेकिन क्या ऐसा कोई प्रावधान है कि वो इस्तीफे के बाद दाखिल अयोग्यता आवेदन को पहले देखें या दोनों को एक साथ जोड़ कर देखें? अगर नहीं तो ऐसा करने की क्या ज़रूरत है? इसपर मुकुल ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि अयोग्यता आवेदन को पहले या इस्तीफे के साथ देखा जाए.’’

बता दें कि इस्तीफा देने वाले 15 विधायकों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट स्पीकर को उनके इस्तीफे स्वीकार करने का निर्देश दे. विधायकों का कहना है कि स्पीकर इस मामले में जानबूझकर देरी कर रहे हैं. सदन का विश्वास खो चुकी कांग्रेस-जेडीएस सरकार को बचाने के लिए विधायकों को अयोग्य करार देने का डर दिखाया जा रहा है. गौरतलब है कि कुमारस्वामी की सरकार 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद गिरने के कगार पर है.


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