अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई, नई बेंच नियमित सुनवाई पर सुना सकती है फैसला
27 सितंबर को जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस्लाम में मस्जिद की अनिवार्यता का सवाल संविधान पीठ के पास भेजने से मना कर दिया था. इससे अयोध्या विवाद की सुनवाई शुरू करने में आ रही अड़चन दूर हो गई थी. उसी बेंच ने 29 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई का आदेश दिया था.
नई दिल्ली: अयोध्या में विवादित भूमि पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. आज विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम जोसेफ की बैंच सुनवाई करेगी, जो पूरी तरह से नई बैंच होगी.
इससे पहले 27 सितंबर को पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बैंच ने मस्जिद में नमाज की अनिवार्यता के सवाल को संविधान पीठ को भेजने से मना कर दिया था. जिसके बाद से अयोध्या जमीन विवाद की सुनवाई शुरु करने में आ रही अड़चन खत्म हो गई थी.
नई बेंच में कौन-कौन ? अयोध्या विवाद में आज सुनवाई करने वाली चीफ जस्टिस की रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बैंच पूरी तरह से नई होगी. नई बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम जोसेफ शामिल हैं. इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस की दीपक मिश्रा अध्यक्षता में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर मामले को देख रहे थे.
क्या है अयोध्या विवाद? अयोध्या में जमीन विवाद सत्तर सालों से चला आ रहा है, अयोध्या विवाद हिंदू मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का बड़ा मुद्दा रहा है. अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर होने की मान्यता है. मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ. हिंदुओं का दावा है कि राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई.
दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी. 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था. अयोध्या में विवादित जमीन पर अभी राम लला की मूर्ति विराजमान है.
अयोध्या विवाद में हाईकोर्ट का फैसला क्या था? अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद आपराधिक केस के साथ साथ जमीन के मालिकाना हक को लेकर भी मुकदमा चला. आठ साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एतिहासिक फैसला दिय़ा. हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बराबर बांटने का फैसला दिया.
राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा राम लला विराजमान को मिला. राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला. जमीन का तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया गया. हाईकोर्ट के फैसले को हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. तीनों ही पक्षों ने पूरी विवादित जमीन पर अपना अपना दावा ठोंका.
अयोध्या पर 2019 से पहले राजनीति गर्म सियासत का अखाड़ा रहा अयोध्या विवाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बड़ा मुद्दा बन सकता है, अगर 2019 से पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता नजर नहीं आता तो केंद्र सरकार तीन विकल्पों पर विचार कर सकती है.
विकल्प एक, सरकार राम मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश ला सकती है. विकल्प दो, शीतकालीन सत्र में बिल ला सकती है सरकार और तीसरा विकल्प है कि सरकार राम मंदिर पर संसद का विशेष सत्र बुला सकती है. वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबरीमाला पर बात करते हुए राम मंदिर का मुद्दा भी छेड़ दिया है. योगी आदित्यनाथ का कहना है कि सबरीमाला की तरह सुप्रीम कोर्ट को अयोध्या पर भी जल्द फैसला आए.