(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पश्चिम बंगाल कोयला घोटाले की CBI जांच रद्द करने की मांग पर SC में बुधवार को सुनवाई, ममता के करीबी भी आ रहे हैं निशाने पर
घोटाले का किंगपिन बताया जा रहा अनूप माजी उर्फ लाला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. राज्य सरकार ने भी उसकी मांग का समर्थन करते हुए सीबीआई की तरफ से दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के कोयला घोटाले के मुख्य सूत्रधार बताए जा रहे अनूप माजी उर्फ लाला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा. अनूप ने राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई जांच पर सवाल उठाया है. राज्य सरकार ने भी माजी का समर्थन करते हुए सीबीआई की तरफ से दर्ज एफआईआर निरस्त करने की मांग की है. पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने मामले के शिकायतकर्ता को भी पक्ष रखने की अनुमति दी थी. साथ ही, सीबीआई को भी याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक नहीं लगाई है.
मामला झारखंड के धनबाद से सटे बंगाल के इलाकों ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से सैकड़ों खरीद रुपए के अवैध कोयला खनन और उसे झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में बेचने से जुड़ा है. अवैध खनन जिन ज़मीनों पर हुआ है, उनमें रेलवे की जमीनें भी हैं. पूरे मामले में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के अलावा रेलवे और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल यानी CISF के अधिकारियों की भी मिलीभगत की बात सामने आ रही है.
मामला कई राज्यों में फैला है. घोटाले में केंद्र सरकार के तहत आने वाली संस्थाओं से जुड़े अधिकारियों की भी संदिग्ध भूमिका है. उसे आधार बनाते हुए सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में एफआईआर दर्ज कर ली. शुरुआती जांच में लाला की तरफ से पश्चिम बंगाल के राजनीतिक नेताओं को पैसे देने की बातें सामने आईं. सीबीआई ने सीएम ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी से घोटाले के तार जोड़ते हुए उनकी पत्नी रुजिरा से पूछताछ भी की है. इस घोटाले में रुजिरा की बहन मेनका गंभीर की भूमिका भी संदिग्ध है.
अनूप माजी ने सीबीआई की एफआईआर को रद्द करने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दाखिल की थी. उसने कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार 2018 में ही सीबीआई को बिना अनुमति राज्य में जांच करने से रोकने का आदेश जारी कर चुकी है. इसलिए, बिना राज्य सरकार से अनुमति मांगे सीबीआई का एफआईआर दर्ज करना अवैध है. सिंगल बेंच ने एफआईआर रद्द करने से मना करते हुए कहा था कि रेलवे के दायरे में आने वाली ज़मीन में हुई अवैध गतिविधियों की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति ज़रूरी नहीं है. लेकिन बाकी इलाकों में छापा मारने और दूसरी कार्रवाई के लिए सीबीआई को राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी.
इस आदेश को 12 फरवरी को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बदल दिया. डिवीजन बेंच ने कहा कि सीबीआई की तरफ से एफआईआर दर्ज करने में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है. इस मामले में सिर्फ रेलवे की ज़मीन में हुए घोटाले की ही नहीं, उसके बाहर हुए अवैध खनन की भी जांच से सीबीआई को नहीं रोका जा सकता.
अब घोटाले का किंगपिन बताया जा रहा अनूप माजी उर्फ लाला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. राज्य सरकार ने भी उसकी मांग का समर्थन करते हुए सीबीआई की तरफ से दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है. पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की बेंच ने कहा था कि वह सबसे पहले डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई की वैधता पर विचार करेगी. यह देखा जाएगा कि क्या कलकत्ता हाई कोर्ट के नियम किसी आपराधिक मामले में सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील डिवीजन बेंच में दाखिल किए जाने की अनुमति देते हैं.
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