Supreme Court Hearing on Freebies: चुनाव में मुफ्त की योजनाओं को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अहम सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग का हलफनामा मीडिया में प्रकाशित होने पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि क्या हम अखबार में हलफनामा पढ़ें. वहीं, याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मुफ्त की योजनाओं की घोषणा रोकना चुनाव आयोग (Election Commission) का कर्तव्य है.
याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की व्यवस्था बननी चाहिए. वहीं, इस पर सीजेआई (CJI) ने कहा कि हम कानून नहीं बना सकते हैं.
हलफनामा मीडिया में प्रकाशित होने पर नाराजगी
सियासी दलों की ओर से रेवड़ी कल्चर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग का हलफनाम मीडिया में प्रकाशिकत होने पर नाराजगी जाहिर की है. इसके साथ ही कोर्ट ने मान्यता रद्द करने को लेकर कहा कि हम कानून नहीं बना सकते हैं. इसके बाद फिर याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने दलील देते हुए कहा कि यहां सरकार भी है और वो कानून बना सकती है.
क्या पार्टियां चुनाव आयोग को घोषणा पत्र सौंपती हैं?
सीजेआई ने पूछा कि क्या पार्टियां चुनाव आयोग को अपना घोषणा पत्र सौंपती हैं? इस पर याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा- नहीं, ऐसी कोई कानूनी बाध्यता नहीं है. वहीं, सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि असल में अधिकतर मुफ्त की योजनाओं का वादा घोषणा पत्र में नहीं होता है, ये भाषणों में होता है. इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि इससे कोई मना नहीं कर सकता है कि ये गंभीर मुद्दा नहीं है.
याचिकाकर्ता के वकील की दलील
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि जिन्हें फायदा चाहिए वह कहेंगे कि कल्याणकारी सरकार की अवधारणा है. हमें लाभ मिले. जो इसका विरोध कर रहे हैं, वह कहते हैं
कि पैसा विकास के काम में लगना चाहिए. इसके बाद वकील विकास सिंह ने दलील देते हुए कहा कि 15 लाख करोड़ से ज़्यादा का कर्ज़ है. टैक्स पेयर चिंतित है कि ये पैसे कहां से आएंगे.
सॉलिसिटर जनरल ने क्या कहा?
इस बीच वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि पहले तमिलनाडु में डीएमके (DMK) ने कलर टीवी का वादा किया, फिर AIADMK ने कुछ किया. यह चलता रहा. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि लोगों को मुफ्त में चीज़ें देना कल्याण का इकलौता तरीका नहीं है. दातार ने कहा कि उम्मीदवारों को अपनी संपत्ति की घोषणा करने को कहा गया. वैसा ही कुछ इस मामले में हो. इस पर सीजेआई (CJI) ने कहा कि वह अलग मामला था.
चुनाव आयोग के वकील ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता के वकील विजय हंसारिया एक्सपर्ट कमिटी पर सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि देश के वित्तीय ढांचे का ध्यान रखा जाए. रिज़र्व बैंक, वित्त आयोग के लोग कमेटी में हों. इस पर सीजेआई ने कहा कि हम ये नहीं कह सकते हैं कि मुफ्त की घोषणाएं बंद कर दो. जिसके बाद हंसारिया ने कहा कि इसपर वित्त विशेषज्ञों को विचार करने दीजिए, उसके बाद फैसला हो. चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में ऐसी योजनाओं को संविधान के नीति निदेशक तत्वों के मुताबिक बताया था. इससे आयोग के हाथ बंधे हैं.
AAP के वकील सिंघवी ने क्या कहा?
आम आदमी पार्टी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि टीवी बांटना मुफ्त की घोषणा है, लेकिन लोगों के भले के लिए कुछ घोषणा करना अलग बात है. दोनों को एक जैसा नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि बिना इनमें अंतर किए कमिटी बना देने से कोई फायदा नहीं होगा. राजनीतिक नेता सोच विचार कर घोषणा करते हैं. भाषण देना उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी हिस्सा है. बेहतर हो कमिटी न बने. वहीं, कपिल सिब्बल ने कहा कि बिना आंकड़ों के आगे नहीं बढ़ा जा सकता है.
मुफ्त की योजना बनाना कितना सही?
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जब हम सड़क पर चलते हैं तो पता चलता है कि सरकार क्या कर रही है. कुछ लोगों के लिए अलग से योजना बनाना भी सही है, लेकिन अब यह सर्वव्यापी होता जा रहा है. मैंने भी कमिटी के गठन पर सुझाव दिए हैं. इसमें अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों के प्रतिनिधि भी रखे जाएं जो संकट में हैं. सीजेआई ने कहा कि हम आज सिर्फ बात कर रहे हैं. कोई आदेश नहीं दे सकते क्योंकि बेंच की सदस्य जस्टिस हिमा कोहली आज उपलब्ध नहीं हैं.
'अर्थव्यवस्था के नुकसान और कल्याण में संतुलन की ज़रूरत'
सीजेआई (CJI) ने एक किस्सा भी सुनाया. उन्होंने कहा कि मेरे ससुर एक अनुशासित किसान थे. उन्होंने किसानों को बिजली कनेक्शन न मिलने पर याचिका दाखिल करने का अनुरोध किया. मैंने कहा कि यह सरकार की नीति है, इसमें कुछ नहीं कर सकते. कुछ समय के बाद सरकार ने अवैध कनेक्शन लेने वालों के कनेक्शन वैध कर दिए. मेरे पास कोई जवाब नहीं था. मेरे मकान के बगल में लोगों ने अपने कई फ्लोर बना लिए. बाद में सरकार ने सब नियमित कर दिया. अर्थव्यवस्था (Economy) के नुकसान और लोगों के कल्याण में संतुलन बनाने की ज़रूरत है. आप सब लोग मेरे रिटायरमेंट से पहले कुछ ठोस दाखिल करें, ताकि कोई आदेश दे सकें.
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