Supreme Court Hearing: ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 3 जुलाई को एक बार फिर से खुल गया है. आज पहले ही दिन सर्वोच्च अदालत में दो प्रमुख मामलों को लेकर सुनवाई होनी है. पहला मामला मणिपुर हिंसा से जुड़ा है. इसके साथ ही पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग बनाने की मांग वाली याचिका पर भी सुनवाई होनी है. आइए दोनों मामलों को जानते हैं.


सबसे पहले मणिपुर से जुड़ी हिंसा का मामला, जिसे लेकर एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है, जिसमें मणिपुर में अल्पसंख्यक कुकी आदिवासियों के लिए सेना की सुरक्षा देने और उन पर हमला करने वाले सांप्रदायिक समूहों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है. 


चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच करेगी सुनवाई


मणिपुर ट्राइबल फोरम की तरफ से दायर की गई याचिका पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई करेगी. इसके पहले एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच के सामने सुनवाई के लिए याचिका डाली थी, जिसे 20 जून को जस्टिस सूर्यकांत मिश्रा की बेंच ने खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ये कानून व्यवस्था का मामला है जिसे प्रशासन को देखना चाहिए.


पुरुष आयोग की मांग पर भी सुनवाई


इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग की मांग को लेकर दायर याचिकापर भी सोमवार (3 जुलाई) को ही सुनवाई होनी है. अधिवक्ता महेश कुमार तिवारी ने याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया कि शादीशुदा मर्दो में आत्महत्या करने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. याचिका में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का आंकड़ा दिया गया है.


सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका में एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2021 में आत्महत्या करने वाले पुरुषों में पारिवारिक समस्याओं के कारण तकरीबन 33.2 फीसदी और विवाह संबंधी वजहों के चलते 4.8 प्रतिशत ने अपना जीवन समाप्त कर लिया था.


याचिका में विवाहित पुरुषों की ओर से आत्महत्या के मुद्दे से निपटने और घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों की शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.


यह भी पढ़ें


Maharshtra NCP Crisis: बागियों के खिलाफ सीनियर पवार का एक्शन, अजित पवार समेत 9 लोगों के खिलाफ अयोग्यता याचिका