Supreme Court on Manipur Violence: मणिपुर वायरल वीडियो (Manipur Viral Video) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (31 जुलाई) को सुनवाई हुई, जिसमें दो महिलाओं का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया था और भीड़ की तरफ से उन्हें नग्न घुमाया गया था. इस दौरान कोर्ट ने सरकार से कई सख्त सवाल किए.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि, "4 मई की घटना पर पुलिस ने 18 मई को FIR दर्ज की। 14 दिन तक कुछ क्यों नहीं हुआ? वीडियो वायरल होने के बाद यह घटना सामने आई कि महिलाओं को नग्न कर घुमाया गया और कम से कम दो के साथ बलात्कार किया गया. पुलिस तब क्या कर रही थी?"
कोर्ट में किसने क्या कुछ कहा
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "मान लीजिए कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के 1000 मामले दर्ज हैं. क्या सीबीआई सबकी जांच कर पाएगी? इस पर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा किजांच टीम में सीबीआई की एक जॉइंट डायरेक्टर रैंक की महिला अधिकारी को रखा जाएगा.
वहीं, सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा कि वह मंगलवार (1 अगस्त) को हर केस पर तथ्यों के साथ जानकारी देंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी सभी FIR की जानकारी
सीजेआई ने आगे कहा, "हमें जानना है कि 6000 FIR का वर्गीकरण क्या है, इनमें कितने जीरो FIR हैं, क्या कार्रवाई हुई है, कितनी गिरफ्तारी हुई है? हम कल सुबह फिर सुनवाई करेंगे. परसों अनुच्छेद 370 केस की सुनवाई शुरू हो रही है इसलिए इस मामले की कल ही सुनवाई करनी होगी.
इस पर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "कल सुबह तक FIR का वर्गीकरण उपलब्ध करवा पाना मुश्किल होगा."
सीजेआई ने किए कड़े सवाल
सीजेआई ने कहा, "सवाल यह भी है कि पीड़ित महिलाओं का बयान कौन दर्ज करेगा? एक 19 साल की महिला जो राहत शिविर में है, पिता या भाई की हत्या होने से घबराई हुई है, क्या ऐसा हो पाएगा कि न्यायिक प्रक्रिया उस तक पहुंच सके?"
सीजेआई ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने SIT के लिए भी नाम सुझाए हैं. आप इस पर भी जवाब दीजिए. अपनी तरफ से नाम का सुझाव दीजिए. या तो हम अपनी तरफ से कमिटी बनाएंगे, जिसमें पूर्व महिला जज भी हों.
CJI ने निर्भया कांड का जिक्र कर क्या कहा
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पीड़ितों के बयान हैं कि उन्हें पुलिस ने भीड़ को सौंपा था. ये निर्भया जैसी स्थिति नहीं है, जिसमें एक बलात्कार हुआ था, वो भी काफी भयावह था लेकिन इससे अलग था. यहां हम प्रणालीगत हिंसा से निपट रहे हैं, जिसे आईपीसी (IPC) एक अलग अपराध मानता है.
'हम पूरी तस्वीर देख रहे हैं'
वहीं, सीजेआई ने मैतेई समुदाय के वकील से कहा कि इस बात पर आश्वस्त रहें कि किसी भी समुदाय के प्रति हिंसा हुई हो, हम उसे गंभीरता से लेंगे यह सही है कि ज़्यादातर याचिकाकर्ता पक्ष कुकी समुदाय की तरफ से हैं. उनके वकील अपनी बात रख रहे हैं लेकिन हम पूरी तस्वीर देख रहे हैं."
सीजेआई ने आगे कहा, "निश्चित रूप से मैतेई समुदाय के लोग भी पीड़ित होंगे. हिंसा दोतरफा होती है इसलिए भी हम एफआईआर के वर्गीकरण को देखना चाहते हैं. इसपर मैतेई समुदाय के एक वकील ने कहा, "वहां लोगों से हथियार जब्त किए जाने की जरूरत है. कोर्ट इस पर भी विचार करे.
सीजेआई ने मैतेई समुदाय के वकील की बात पर कहा, "हां, यह भी जरूरी है. इस बात पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई अब मंगलवार (1 अगस्त) को दोपहर 2 बजे होगी.
मणिपुर वायरल वीडियो से पूरे देश में आक्रोश
दरअसल, 19 जुलाई को मणिपुर से सामने आए 26 सेकंड के एक वीडियो ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है, जहां भीड़ ने दो महिलाओं को नग्न किया, उनके साथ मारपीट की और उनकी परेड कराई. यह घटना मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के एक दिन बाद 4 मई को हुई थी.
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