Mathura Shahi Masjid Case: मथुरा के शाही ईदगाह को मंदिर घोषित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार, पढ़ें क्या किया गया दावा
Mathura Shahi Masjid Case: मथुरा के विवादित शाही ईदगाह को श्रीकृष्ण जन्मभूमि घोषित करने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया. इसे मंदिर घोषित करने की मांग हो रही है.
Mathura Shahi Masjid Case Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (5 जनवरी) को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने और मस्जिद को हटाने के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया.
इसके पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस तरह की याचिका खारिज की थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी कानून की वैधता को चुनौती देते हुए एक अलग याचिका दायर कर सकता है.
याचिकाकर्ता ने मस्जिद को मंदिर होने का दावा किया
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई हुई. पिछले अक्टूबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका खारिज करने के बाद अधिवक्ता महक माहेश्वरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. उन्होंने विवादित स्थल को हिंदू भगवान कृष्ण के वास्तविक जन्मस्थान के रूप में मान्यता देने की मांग की थी और कृष्ण जन्मभूमि जन्मस्थान के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना के लिए जमीन हिंदुओं को सौंपने का आग्रह किया था. जनहित याचिका के माध्यम से, वकील ने दावा किया था कि यह स्थल इस्लाम से पहले का है और अतीत में विवादित भूमि के संबंध में किए गए समझौतों की वैधता पर सवाल उठाया था.
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Supreme Court dismisses an appeal against the Allahabad High Court order which rejected a PIL seeking recognition of Mathura's Shahi Idgah Mosque site as Krishna Janmabhoomi.
— ANI (@ANI) January 5, 2024
Supreme Court says the issues raised in the plea are already pending consideration before the court. pic.twitter.com/vMu2Xb1a22
कई सिविल मुकदमे पहले से लंबित हैं"
सुनवाई की शुरुआत में, न्यायमूर्ति खन्ना ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से कहा कि जनहित याचिका की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि एक ही मुद्दे पर कई सिविल मुकदमे लंबित हैं. जवाब में, वकील ने शिकायत की कि हाई कोर्ट ने केवल इस आधार पर माहेश्वरी की याचिका खारिज कर दी थी कि अन्य मुकदमे लंबित थे.
"दूसरा मुकदमा दर्ज कराइए, देखेंगे"
जस्टिस खन्ना ने कहा, "आपने इसे जनहित याचिका के रूप में दायर किया, इसलिए इसे खारिज कर दिया गया. इसे सामान्य मुकदमे के रूप में दर्ज कराएं, हम देखेंगे." इस पर वकील ने पूछा कि क्या मैं इस पर अलग से याचिका दायर कर सकता हूं. इस पर जज ने स्पष्ट किया कि बिल्कुल कर सकते हैं, लेकिन जनहित याचिका के तौर पर नहीं.
"मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा"
आपको बता दें कि इस मस्जिद को भगवान श्री कृष्ण के मंदिर को तोड़कर बनाए जाने का दावा इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया गया था. याचिकाकर्ता ने कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र ने मथुरा मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर के लिए जमीन दान में मिली, इसलिए जमीन के स्वामित्व का कोई विवाद नहीं है. राजस्व अभिलेखों में जमीन अभी भी कटरा केशव देव के नाम दर्ज है. इसके पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की याचिका में दावा किया गया था कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और वहां कई संकेत हैं, जो स्थापित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था. वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है, जोक हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है, जो हिंदू देवताओं में से एक हैं, जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी.
जमीन को लेकर हुआ था समझौता
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के मुताबिक श्रीकृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में 12 अक्टूबर 1968 को एक समझौता हुआ था. श्री कृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के सहयोगी संगठन श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ और शाही ईदगाह के बीच हुए इस समझौते में 13.37 एकड़ भूमि में से करीब 2.37 एकड़ भूमि शाही ईदगाह के लिए दी गई थी. हालांकि, इस समझौते के बाद श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ को भंग कर दिया गया. इस समझौते को हिंदू पक्ष अवैध बता रहा है. हिंदू पक्ष के अनुसार श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ को समझौते का अधिकार था ही नहीं.