नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट की मांग वाली बीजेपी नेताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि 20 मार्च को यानि कल विधानसभा सत्र हो और उसी दिन फ्लोर टेस्ट कराया जाए. हाथ उठा कर मतदान किया जाएगा और इसकी वीडियोग्राफी होगी. आदेश में कहा गया है कि लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखा जाए और शाम 5 बजे तक प्रक्रिया पूरी हो. इस आदेश के बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं.


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, बेंगलुरू में बैठे बागी कांग्रेस विधायक सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं हैं. उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि विधानसभा का एकमात्र एजेंडा बहुमत साबित करने का होगा और किसी के लिए भी बाधा उत्पन्न नहीं की जानी चाहिए.


दरअसल, 10 मार्च को कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. इस इस्तीफे के एक दिन बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए. जिसके बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार संकट में आ गई.


सिंधिया खेमे के 22 विधायकों ने भी पद छोड़ने का एलान किया, जिसमें छह मंत्री भी शामिल थे. ये सभी नेता अभी बेंगलुरु में मौजूद हैं. सत्तारूढ़ कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी के नेताओं के दबाव में इन विधायकों को रिसॉर्ट में रखा गया है, इन्हें मुक्त किया जाए और फिर फ्लोर टेस्ट हो.


इसी को लेकर पिछले दिनों बीजेपी के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने आज और कल दो दिनों तक लंबी सुनवाई के बाद फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया है. संख्याबल को देखें तो कमलनाथ सरकार संकट में दिख रही है.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीजेपी खुश है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि अल्पमत की सरकार जरूर गिरेगी. उन्होंने कहा कि कल सत्य की जीत होगी.


मध्य प्रदेश का गणित


मध्य प्रदेश के सियासी गणित पर गौर करें तो विधानसभा में सदस्यों की संख्या 230 है और दो स्थान खाली हैं. छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए जा चुके हैं. वहीं कांग्रेस के 16 विधायकों के इस्तीफे लंबित हैं. बीजेपी को उम्मीद इस बात की है कि उसके पास 107 विधायक हैं और वह सदन में बहुमत में है.



कांग्रेस के 16 विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 हो जाएगी और समर्थन देने वाले दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायकों को मिलाकर कुल 99 विधायक कांग्रेस के पास होते हैं. वही बीजेपी के एक विधायक त्रिपाठी के बगावती तेवरों के चलते बीजेपी का आंकड़ा 106 नजर आता है.