नई दिल्ली: कोरोना संकट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 5 लोगों के साथ मुहर्रम जुलूस निकालने की अनुमति अभी नहीं दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुहर्रम जुलूस पूरे देश में निकलता है, इसलिए सभी 28 राज्य सरकारों की मंजूरी या उनका पक्ष सुनना जरूरी है. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने याचिकाकर्ता को कहा कि वो अपनी याचिका में 28 राज्य की सरकारों को भी वादी बनाएं, जिसके बाद सुनवाई होगी. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग करने की बात भी कही.


याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कोरोना संकट में सरकारी गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए मुहर्रम जुलूस में केवल 5 लोगों को ही शामिल होने की इजाजत मांग थी. कोर्ट ने फिलहाल कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई सोमवार को होगी.


दरअसल, इस्लामिक कैलेंडर का नया साल यानी मुहर्रम का महीना 21 अगस्त से शुरू हो गया है. मुहर्रम के शुरुआती दस दिनों में प्रयागराज समेत सभी जगहों पर मजलिस, मातम, जुलूस और लंगर के ज़रिये कर्बला के वाकये को याद किया जाता है और कई तरह के आयोजन किए जाते हैं. लोग काले कपडे पहन लेते हैं और महिलाएं हाथों की चूड़ियां तोड़ देती हैं. हालांकि इस बार कोरोना की महामारी की वजह से कहीं भी कोई सार्वजिनक आयोजन नहीं हो रहे हैं और लोग प्रतीकात्मक तरीके से ही त्यौहार की रस्में अदा कर रहे हैं.


दिल्ली: 700 साल में पहली बार नहीं निकलेगा ताजियों का जुलूस
दिल्ली में ताजिया रखने का सिलसिला मुगलकाल से ही चला आ रहा है, पर 700 सालों में ऐसा पहली बार होगा कि मोहर्रम पर ताजिये तो रखे जाएंगे, लेकिन इनके साथ निकलने वाला जुलूस नहीं निकल सकेगा. यह बात हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ के प्रमुख कासिफ निजामी ने कही.


निजामी ने कहा, "भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय यानी 1947 में भी दरगाह से ताजियों के साथ निकालने वाले जुलूस पर पाबंदी नहीं लगी थी, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते दिल्ली और केंद्र सरकार से धार्मिक सामूहिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं है. इसलिए मोहर्रम पर ताजिये के साथ जुलूस निकलने की अनुमति भी नहीं मिली है."