Punjab Governor VS AAP: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (28 फरवरी) को पंजाब सरकार की विधानसभा का सत्र बुलाने से इनकार करने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने की. पंजाब सरकार ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित (Banwarilal Purohit) से तीन मार्च से बजट सत्र बुलाने का अनुरोध किया था. कोर्ट ने पंजाब सरकार को राहत देते हुए कहा कि राज्यपाल को कैबिनेट की सलाह पर विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए.
पंजाब सरकार के वकील सिंघवी से पहले सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आज राज्यपाल ने यह आदेश पारित किया है कि सत्र बुलाया जा रहा है. पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कहा कि हम इसलिए आए हैं क्योंकि राज्यपाल ने कुछ बयानों और शिकायतें के आधार पर सत्र बुलाने से पहले कानूनी सलाह लेने की बात कह रहे थे. हम जब सुप्रीम कोर्ट आए तो अब कह रहे हैं कि सत्र बुलाया जा रहा है.
"राज्यपाल को संविधान के हिसाब से काम करना चाहिए"
सिंघवी ने आगे कहा कि राज्यपाल कैबिनेट की सलाह पर चलते हैं, लेकिन उन्होंने पहले कैबिनेट की सलाह की उपेक्षा की. अब कह रहे हैं कि 3 मार्च से सत्र बुलाया जाएगा. राज्यपाल को संविधान के हिसाब से काम करना चाहिए. सिंघवी ने कहा कि अगर सीएम ने यह कह दिया कि उन्हें 3 करोड़ पंजाबियों ने चुना है, तो क्या राज्यपाल सत्र बुलाने से मना कर देंगे. संविधान को हाईजैक कर लेंगे. सॉलिसीटर जनरल मेहता ने कहा कि सीएम ने आधिकारिक पत्राचार में निचले स्तर की भाषा का इस्तेमाल किया. मेहता ने राज्यपाल और सीएम के बीच हुए पत्राचार के कुछ हिस्से पढ़े.
"सरकार इस तरह का जवाब नहीं दे सकती"
14 फरवरी की चिट्ठी में सीएम ने कुछ नियुक्तियों पर सवाल उठाने का यह जवाब दिया कि मैं आपको नहीं 3 करोड़ पंजाबियों को जवाब देता हूं. लोग जानना चाहते हैं कि राज्यपाल की नियुक्ति किस तरह से होती है? उसका क्या आधार है? CJI ने सिंघवी से पूछा कि अनुच्छेद 167b के तहत अगर राज्यपाल कुछ जानकारी मांग रहे हों तो सरकार का कर्तव्य है उसे देना. वह इस तरह का जवाब नहीं दे सकती. पंजाब सरकार राज्यपाल की ओर से मांगी गई जानकारी देने के लिए कर्तव्यबद्ध है.
सीजेआई ने क्या कहा?
सीजेआई ने कहा कि हालांकि, जब कैबिनेट विधानसभा सत्र बुलाने को कह रही हो, तो राज्यपाल को ऐसा करना चाहिए. मेहता ने कहा कि राज्यपाल ने कभी मना नहीं किया. वह कानूनी सलाह ले रहे थे. उन्होंने सलाह ली. अब सत्र बुलाया जा रहा है. राज्यपाल ने अपने पत्र में किसी अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया. अगर ऐसी प्रवृत्ति पर लगाम नहीं लगी तो इसके दुष्परिणाम होंगे. यह नहीं कहा जा सकता कि मुझे लोगों ने चुना इसलिए किसी संवैधानिक संस्था को कोई जवाब नहीं दूंगा.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश
सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 163 के तहत मंत्रिमंडल राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए है. राज्यपाल को कैबिनेट की सलाह के मुताबिक विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए. यह उनका कर्तव्य है. अगर सीएम राज्यपाल को जानकारी देने का कर्तव्य नहीं निभाएंगे तो राज्यपाल काम नहीं कर सकते. राज्यपाल को भी कैबिनेट की सलाह के मुताबिक बिना देर किए विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए. देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को मर्यादित और परिपक्व भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए. हम आशा करते हैं कि भविष्य में परिपक्व आचरण देखने को मिलेगा. लोग व्यवस्था पर भरोसा करते हैं, यह बना रहना चाहिए.
पंजाब सरकार और राज्यपाल में ठनी
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार के बीच गतिरोध पिछले सप्ताह और बढ़ गया जब पुरोहित ने संकेत दिया कि उन्हें विधानसभा का बजट सत्र बुलाने की कोई जल्दी नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री मान को राजभवन के एक पत्र पर उनके आपत्तिजनक जवाब की याद दिलाई. मुख्यमंत्री को राज्यपाल का पत्र पंजाब कैबिनेट की ओर से तीन मार्च से विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला करने और राज्यपाल से सदन की बैठक बुलाने का अनुरोध करने के दो दिन बाद आया था.
ये भी पढ़ें-