Supreme Court On Religious Conversions: सुप्रीम कोर्ट ने देश में धर्म परिवर्तन मामले पर चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने इस मसले को गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए. धर्म परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है. वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.


याचिका में छल या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकारों से सख्त कदम उठाने की मांग की गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर भाजपा के प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय के इशारे पर उनके हस्तक्षेप को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए. कुछ समय पहले कोर्ट ने बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए केंद्र से इस गंभीर मुद्दे पर कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए थे.


कोर्ट इस मसले को लेकर गंभीर
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से 7 फरवरी तक इस संबंध में सुझाव देने का अनुरोध करते हुए मामले का नाम बदलकर स्वत: संज्ञान लेने पर सहमति जताई. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी से कहा कि वे चाहते हैं कि अगर बलपूर्वक या फिर लालच से धर्म परिवर्तन हो रहे हैं तो इस बात का पता लगाया जाए और अगर ऐसा हो रहा है तो हमें आगे क्या करना चाहिए. इसमें सुधार के लिए किया किया जा सकता है.


तमिलनाडु सरकार ने किया याचिका का विरोध
अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका का तमिलनाडु सरकार ने विरोध किया. उन्होंने याचिका को राजनीति से प्रेरित करार दिया. याचिका तमिलनाडु में पिछले साल की शुरुआत में एक कथित घटना के संदर्भ में दायर की गई थी, जहां एक 17 वर्षीय तंजावुर लड़की ने अपने माता-पिता के आरोप के बाद आत्महत्या कर ली थी कि उसे स्कूल द्वारा धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया था.


कोर्ट ने कहा- हमें पूरे देश की चिंता
कोर्ट ने कहा कि उन्हें पूरे देश की चिंता है. मामले में राजनीति लाकर अदालत की कार्यवाही को अलग दिशा की तरफ मोड़ने की कोशिश न करें, यह कहकर कि अदालत एक राज्य के खिलाफ निशाना साध रही है. इसका राजनीतिकरण न करें. अगर आपके राज्य में जबरन धर्मांतरण नहीं हो रहा है तो अच्छा है. यह बहुत गंभीर मामला और हमें अटॉर्नी जनरल की सहायता की आवश्यकता है.


वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसमें छल या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकारों से सख्त कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई थी. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बलपूर्वक धर्म परिवर्तन को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए केंद्र से इस गंभीर मुद्दे पर कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए थे. 


याचिका में क्या कहा
गुजरात सरकार ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन से पहले जिलाधिकारी की इजाजत को अनिवार्य करने वाला कानून बनाया था. हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने इस कानून को स्टे कर दिया था. स्टे हटवाने के लिए गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस दौरान गुजरात सरकार ने कहा था कि धर्म की स्वतंत्रता में धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं है. याचिका में कहा गया है कि जबरन धर्मांतरण पूरे देश की समस्या है और तुरंत इस पर ध्यान देने की जरूरत है.


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