Delhi News: केंद्र सरकार (Modi Govt) और दिल्ली सरकार (Delhi Govt) के बीच के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में मंगलवार, 10 जनवरी को सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट में दिल्ली सरकार (Delhi Govt) ने कहा कि अगर सरकार का सेवाओं पर नियंत्रण नहीं रहता तो वह काम नहीं कर सकती क्योंकि ब्‍यूरोक्रेट्स को अलग रखने से शासन की उपेक्षा होगी और अधिकारी लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं रहेंगे.


आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के लिए पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम सिंघवी ने केजरीवाल सरकार भूमिका और अधिक बढ़ाने की बात कहते हुए यह भी कहा कि ऐसे ही चलता रहा तो हर छोटे-मोटे मुद्दे पर दिल्ली का कामकाज ठप हो जाएगा. उन्‍होंने कहा, ‘‘हिंदी की एक प्रसिद्ध कहावत है कि ‘एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं.’’


दिल्‍ली के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई


बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र-दिल्ली सरकार के बीच विवाद पर सुनवाई हुई. संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल रहे. 


अधिकारियों को जवाबदेह बनाना होगा 


सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ए. एम सिंघवी ने केजरीवाल सरकार का पक्ष रखते हुए अनुरोध किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) में कार्यरत सरकारी अधिकारियों को निर्वाचित सरकार के माध्यम से लोगों के प्रति जवाबदेह बनाना होगा. 


सुनवाई में राज्य के इन 3 विषयों का जिक्र 


संविधान पीठ ने मंगलवार को दिनभर चली सुनवाई में सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे राज्य के 3 विषयों का जिक्र किया, जहां दिल्ली सरकार अनुच्छेद 239एए (दिल्ली के संबंध में विशेष प्रावधान) के तहत विधेयक नहीं बना सकती. बेंच ने कहा, ‘‘आपको (दिल्ली सरकार को) एक चीज माननी होगी कि प्रविष्टि 1 (सार्वजनिक व्यवस्था), 2 (पुलिस) और 18 (भूमि) (राज्य की सूची के विषय) आपके दायरे से बाहर के हैं. इसलिए, यदि सिविल सेवक इनसे संबंधित विभागों में पदस्थ हैं तो यह भी आपके अधिकारों के दायरे से बाहर होगा.’’


संविधान की 7वीं अनुसूची में संघ, राज्य और समवर्ती समेत 3 सूचिया हैं. पहली दोनों सूची में उल्लेखित विषयों पर केंद्र तथा राज्य सरकारों को कानून बनाने के विशेष अधिकार हैं. शुरूआत में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मामले में कुछ आईएएस अधिकारियों ने याचिका दायर की है और इस पर सुनवाई होने की जरूरत है. पीठ ने दलील को मान लिया. 


यह भी पढ़ें: Joshimath Chamoli sinking: तबाही के भंवर में जोशीमठ, आशियाना छिनने पर पीड़ितों का छलका दर्द, आंखों में आंसू, जुबां पर सिसकियां- हृदय विदारक तस्वीरें