Punjab Government V/S Governor: ‘कोई भी बिल वापस भेजने का उन्हें है अधिकार’, पंजाब सरकार बनाम राज्यपाल की लड़ाई में बोला सुप्रीम कोर्ट
Punjab Government V/S Governor: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित आमने-सामने हैं. सरकारी की ओर से पारित बिलों को मंजूरी देने में देरी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
Punjab Government V/S Governor: पंजाब विधानसभा में पास बिलों को मंजूरी देने में देरी करने के मामले को लेकर सोमवार (06 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई. सॉलिसीटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि राज्यपाल ने सभी 7 बिलों पर फैसला ले लिया है. जल्द ही सरकार को इसकी जानकारी दे दी जाएगी. दरअसल, विधानसभा से पारित बिल को मंजूरी देने में राज्यपाल की तरफ से देरी के खिलाफ पंजाब सरकार ने ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली है.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार के लिए टाली. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्यपाल को कोई बिल सरकार को वापस भेजने का भी अधिकार है लेकिन मामला कोर्ट तक आने से पहले राज्यपालों को निर्णय लेना चाहिए. कोर्ट ने पंजाब में विधानसभा सत्र लगातार चालू रखने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह संविधान में दी गई व्यवस्था नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “राज्यपालों को थोड़ा आत्मावलोकन करने की आवश्यकता है, उन्हें पता होना चाहिए कि वे जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं. राज्यपालों को मामला अदालत में आने से पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए.”
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि राज्य के राज्यपाल ने उनके पास भेजे गए विधेयकों पर कार्रवाई की है. इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल को अद्यतन स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया, मामले की सुनवाई 10 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
इससे पहले मामले को प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. याचिका में विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी के लिए राज्यपाल को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
क्या है मामला?
याचिका में कहा गया है कि इस तरह की ‘असंवैधानिक निष्क्रियता’ से पूरा प्रशासन ‘एक तरह से ठप पड़’ गया है. राज्य सरकार की दलील है कि राज्यपाल अनिश्चित काल तक विधेयकों को रोक नहीं सकते हैं और संविधान के अनुच्छेद-200 के तहत प्राप्त उनकी शक्तियां सीमित है. इस अनुच्छेद में राज्यपाल की ओर से विधेयकों को रोकने या राष्ट्रपति को विचार के लिए भेजने की शक्तियां निहित हैं. पंजाब के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान-नीत आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के बीच तनातनी चल रही है.
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