Kiren Rijiju On Collegium System: न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े कॉलेजियम सिस्टम को लेकर बीते कुछ महीनों से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में मतभेद चल रहा है. कॉलेजियम विवाद के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस सोढ़ी के एक बयान को शेयर किया है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पूर्व न्यायाधीश की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा, "यही सबसे समझदार नजरिया है."


दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरएस सोढ़ी ने 'लॉस्ट्रीट भारत' यूट्यूब चैनल को दिए एक इंटरव्यू में जजों की नियुक्ति पर अपने विचारों को जाहिर किया. उन्होंने जजों की नियुक्ति में कॉलेजियम सिस्टम का विरोध किया. पूर्व जस्टिस आरएस सोढ़ी कहा, "खुद ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करेंगे, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह से संविधान को हाईजैक किया है."


'SC ने संविधान को हाइजैक कर लिया'


पूर्व जस्टिस ने कहा, "जब हमारा संविधान बना था तो इसमें एक सिस्टम था. एक पूरा चैप्टर था कि जज कैसे अपॉइंट होते हैं? जो लोग कहते हैं कि यह प्रणाली असंवैधानिक है, वो संविधान में संशोधन की बात कर सकते हैं. यह संशोधन तो पार्लियामेंट ही करेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को ही हाइजैक कर लिया है. उन्होंने कहा कि हम खुद को अपॉइंट करेंगे और इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं होगा."


पूर्व जज ने किया कॉलेजियम का विरोध


कॉलेजियम को लेकर पूर्व जस्टिस सोढ़ी ने कहा, "हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत नहीं आता है. ये हर राज्य की स्वतंत्र संस्था है. हाईकोर्ट के जज को सुप्रीम कोर्ट के जज अपॉइंट करते हैं और सुप्रीम कोर्ट के जज खुद को अपॉइंट कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट का जिसे जहां भेजने का मन करता है, वहां ट्रांसफर कर देता है. ऐसे में हाईकोर्ट के जज सुप्रीम कोर्ट की तरफ देखना शुरू कर देते हैं. यह हमारे संविधान ने कभी कहा ही नहीं गया."


'न्यायपालिका स्वतंत्र, लेकिन संविधान सर्वोच्च'


केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पूर्व जस्टिस सोढ़ी के बयान को शेयर करते हुए कहा, "देश के ज्यादा लोगों की यही समझदार राय है. उन्हें भी लगता है कि सुप्रीम कोर्ट में जनता का प्रतिनिधि होना चाहिए. भारतीय लोकतंत्र की असली खूबसूरती इसकी सफलता है. जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से स्वयं शासन करती है. चुने हुए प्रतिनिधि लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और कानून बनाते हैं. हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है लेकिन हमारा संविधान सर्वोच्च है."


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