लाइव सर्जरी प्रसारण पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई शुरू, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और एनएमसी से मांगा ये जवाब
Medical News: किसी भी ऑपरेशन के दौरान उसका लाइव टेलिकास्ट करना और उस पर चर्चा करना सही है या गलत इसका फैसला जल्द हो जाएगा. टेलिकास्ट पर रोक लगाने की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
Suprem Court on Live Surgery Broadcast: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सर्जरी के लाइव टेलिकास्ट पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई की. इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. सभी संबंधित एजेंसियों को तय समय में जवाब देना होगा.
याचिका में कहा गया था कि सर्जरी के प्रसारण और से मरीजों के जान को ज्यादा खतरा रहता है. इसे देखते हुए कई देशे में इस पर रोक लग चुकी है. ऐसे में यहां भी सर्जरी के सीधा प्रसारण करने पर रोक लगनी चाहिए.
राहिल चौधरी की ओर से डाली गई है याचिका
डॉक्टर राहिल चौधरी और दो अन्य की ओर से दायर इस याचिका पर सीजेआई जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ सुनवाई कर रही है. याचिका में कहा गया है कि सर्जरी के लाइव प्रसारण के साथ मेडिकल लाइव चर्चा आयोजित करने और उसका इंटरनेट के जरिए दुनिया भर में सजीव प्रसारण करना गलत है और इस पर रोक लगनी चाहिए.
वकील ने अदालत में दी ये दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि ये कुछ वैसा ही होता है, जैसे विराट कोहली क्रिकेट खेलते हुए लाइव कमेंट्री भी कर रहे हों. इस पर कई देशों ने पाबंदी लगाई हुई है. क्योंकि सर्जरी में ज्यादा एकाग्रता की जरूरत होती है. एम्स में भी ऐसे ही एक लाइव प्रदर्शन सर्जरी के दौरान देरी होने से एक व्यक्ति की ऑपरेशन टेबल पर ही मौत हो गई थी.
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि कई निजी अस्पताल व्यावसायिक रूप से मरीजों का शोषण कर रहे हैं और अपने गुप्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उन्हें मॉडल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
लोगों को गुमराह करके भी किया जा रहा है प्रसारण
उन्होंने कहा कि सर्जरी लाइव की जा रही है और कई लोग इसे देख रहे हैं और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों से सवाल पूछ रहे हैं. इससे सर्जन का ध्यान बंट सकता है और मरीज की जान को खतरा हो सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि कुछ मामलों में अस्पताल मरीज को इलाज की राशि में छूट का ऑफर देकर सर्जरी लाइव कराते हैं. याचिका में कहा गया है कि मरीजों के मौलिक मानवाधिकारों को किसी विशेष समूह की सनक के अधीन नहीं किया जा सकता.
एनएमसी को तीन हफ्ते बाद देना है जवाब
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने यह पता लगाने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को भी नोटिस जारी किया है कि क्या ऐसे मामलों को नियंत्रित करने वाला कोई नियामक ढांचा है. इसके लिए एनएमसी को तीन हफ्ते का समय दिया गया है. अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी
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