Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में एक अजीबो-गरीब याचिका दायर की गई, जिससे नाराज होकर कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर ही जुर्माना लगा दिया. दरअसल, एक छात्र ने सोशल मीडिया पर यौन सामग्री के साथ विज्ञापन दिखाने पर बैन लगाने और इस तरह के विज्ञापन दिखाने पर Google इंडिया से 75 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए याचिका दायर की थी. 


छात्र ने बताया कि विज्ञापनों में यौन सामग्री से उसकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को सबसे खराब दलीलों में से एक बताते हुए खारिज कर दिया. इसके साथ ही याचिकाकर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया. 


Ad देखने के लिए कोई दबाव नहीं डाल रहा...


जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका की बेंच ने कहा कि यह याचिका खराब थी और याचिकाकर्ता ने इस तरह की याचिका दायर करके कोर्ट का कीमती समय बर्बाद किया है. कोर्ट ने कहा कि अगर छात्र को ये विज्ञापन पसंद नहीं हैं तो उसे कोई भी उन पर उन विज्ञापनों को देखने के लिए दबाव नहीं डाल रहा है.


'YouTube के विज्ञापनों से भटक गया था'


आनंद किशोर चौधरी नाम का शख्स खुद कोर्ट में बहस करने के लिए उपस्थित हुआ. शख्स ने कहा कि "वह मध्य प्रदेश में पुलिस फोर्स में भर्ती के लिए प्रवेश परीक्षा पास करने में विफल रहा, क्योंकि उनका ध्यान YouTube पर विज्ञापनों से भटक गया था." आनंद किशोर ने तर्क देते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के उल्लंघन के बराबर है और कोर्ट से इसकी जांच करने का अनुरोध किया.


आनंद किशोर चौधरी ने अपनी याचिका में कहा कि वह विज्ञापनों पर यौन सामग्री के कारण अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे सका, जिससे उसका ध्यान पढ़ाई से भटक गया और इसलिए गूगल इंडिया से 75 लाख रुपये का मुआवजा मांगा है.


कोर्ट से हाथ जोड़कर माफी मांगी


सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा, 'इस तरह की याचिकाएं पूरी तरह से कोर्ट का समय बर्बाद करती हैं.' वहीं, याचिकाकर्ता ने बेंच से हाथ जोड़कर माफी मांगी. उसने बेंच से कहा कि वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है और वह जुर्माना नहीं भर पाएगा. हालांकि, बेंच ने जुर्माना माफ करने से इनकार कर दिया और इसे घटाकर 25,000 रुपये कर दिया.


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