Supreme Court: ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के पद पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक में अड़ंगा लग गया है. कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट में अब18 अक्टूबर को सुनवाई होगी और उसके बाद कोर्ट के फैसले के बाद ही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नए शंकराचार्य का पदभार ग्रहण कर सकेगे. 17 अक्टूबर को उनका पट्टाभिषेक होना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर तक मामले में यथास्थिति बनाए रखने को कहा है.
बता दें कि स्वामी स्वरूपानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद अविमुक्तेश्वरानंद को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया था, लेकिन ज्योतिष पीठ की गद्दी को लेकर लंबे समय से जारी विवाद इसके आड़े आ गया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया.
साल 2017 से जारी है कानूनी विवाद
बद्रिकाश्रम के ज्योतिष पीठ की गद्दी को लेकर स्वामी स्वरूपानंद का स्वामी वासुदेवानंद से कानूनी विवाद था, इसे लेकर साल 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों की जगह किसी अन्य को शंकराचार्य बनाने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ स्वरूपानंद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. तब के दिए अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने को कहा था. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि मामले की विस्तृत सुनवाई बाद में होगी.
कोर्ट के आदेश से स्वरूपानंद बने रहे शंकराचार्य
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के चलते स्वरूपानंद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य बने रहे. अब उनके निधन के बाद अविमुक्तेश्वरानंद को उत्तराधिकारी चुना गया है. इसका विरोध करते हुए वासुदेवानंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्होंने कहा है कि स्वामी स्वरूपानंद को पद से हटाने का फैसला हाई कोर्ट ने दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश के ज़रिए उन्हें इस पद पर बनाए रखा. अब उनके निधन के बाद अवैध तरीके से अविमुक्तेश्वरानंद को पद पर बैठाया जा रहा है.
जजों की बेंच ने कहा-सही से दस्तावेज पेश करें
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि मामले से जुड़े दस्तावेज उनके सामने सही क्रम में नहीं रखे गए हैं. उन्हें सही क्रम में रखा जाए, जिससे सुनवाई में सुविधा हो. कोर्ट ने 18 अक्टूबर को मामला सुनने की बात कही है. इससे 17 अक्टूबर को होने वाला अविमुक्तेश्वरानंद का पट्टाभिषेक रुक गया है. पिछले महीने भी सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. अब सोमवार, 18 अक्टूबर को यह तय हो सकता है कि यह रोक अभी जारी रहेगी या अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य के पद पर बैठ सकेंगे.
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