Sedition Laws Abolished : साउथ कोरिया से ब्रिटेन तक, वो देश जहां बरसों पहले खत्म हो चुका है राजद्रोह कानून
IPC 124A: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसले में राजद्रोह कानून पर अंतरिम रोक लगा दी है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस कानून पर विचार करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसले में राजद्रोह कानून पर अंतरिम रोक लगा दी है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस कानून पर विचार करने को कहा है. साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वे आईपीसी की धारा 124ए के तहत कोई नया मामला दर्ज न करें. आइए आपको बताते हैं उन देशों के बारे में जहां राजद्रोह कानून को पहले ही हटा दिया गया है.
ब्रिटेन: भारत ब्रिटिश काल के जिस राजद्रोह कानून को 162 साल से ढो रहा है, उसी ब्रिटेन में साल 2009 में ही राजद्रोह कानून को खत्म कर दिया गया था. राजद्रोह के अपराध का पता वेस्टमिंस्टर वर्ष 1275 की संविधि से लगाया जा सकता है जब माना जाता था कि राजा के पास दैवीय अधिकार हैं. कहा जाता है कि वैश्विक राय राजद्रोह के खिलाफ और फ्री स्पीच के हक में है.
ऑस्ट्रेलिया: कंगारुओं के देश ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय सुरक्षा विधान संशोधन अधिनियम 2010 से राजद्रोह शब्द को हटा दिया गया था और इसे हिंसा अपराधों के आग्रह के संदर्भों के साथ बदल दिया गया.
स्कॉटलैंड: इस देश में राजद्रोह कानून साल 2010 में हटाया गया था.
साउथ कोरिया: साल 1988 में जब कानूनी और लोकतांत्रिक सुधार किए गए तो राजद्रोह कानूनों को भी खत्म कर दिया गया.
इंडोनेशिया: इंडोनेशिया भी राजद्रोह कानून से मुक्ति पा चुका है. इस देश में राजद्रोह कानून को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा गया था कि इसे औपनिवेशिक डच आकाओं से लिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अहम बातें
- ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने सभी लंबित देशद्रोह के मामलों पर रोक लगाने का आदेश दिया और पुलिस और प्रशासन को सलाह दी कि जब तक केंद्र अपनी समीक्षा पूरी नहीं कर लेता तब तक कानून के इस सेक्शन का उपयोग न करें.
- चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, अगर कोई ताजा मामला दर्ज होता है तो संबंधित पक्ष कोर्ट का रुख कर सकते हैं और कोर्ट ही इस मामले का निपटारा करेगी. चीफ जस्टिस ने कहा, केंद्र सरकार कानून के दुरुपयोग रोकने के लिए राज्यों को निर्देश देने के लिए स्वतंत्र है.
- सीजेआई ने कहा, यह सही होगा कि रिव्यू होने तक कानून के इस प्रावधान का इस्तेमाल न करें. हमें उम्मीद है कि केंद्र और राज्य 124 ए के तहत कोई भी प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करेंगे या रिव्यू खत्म होने के बाद कार्रवाई शुरू करेंगे.
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