नई दिल्ली: कोर्ट मैरिज में शादी से 30 दिन पहले जोड़े का ब्यौरा नोटिस बोर्ड पर लगाए जाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है. कोर्ट ने आज इस मसले पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. याचिका में कहा गया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट का यह प्रावधान निजता के अधिकार का हनन है. यह धर्म, जाति वगैरह के बंधन तोड़ कर शादी करने जा रहे जोड़े की सुरक्षा को भी खतरा पहुंचाता है.


केरल की रहने वाली कानून की छात्रा ने दायर की याचिका


केरल की रहने वाली कानून की छात्रा नंदिनी प्रवीण की याचिका में स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 6(2) और 6(3) को चुनौती दी गई है. इसमें यह प्रावधान है कि शादी की इच्छा रखने वाले जोड़े में से कोई एक मैरिज ऑफिसर को आवेदन देता है. इसमें लड़का और लड़की का नाम, पता, अभिभावकों का नाम जैसी सारी बातों की जानकारी देनी होती है. इसके बाद मैरिज ऑफिसर 30 दिनों के लिए इस जानकारी को अपने दफ्तर के नोटिस बोर्ड पर लगा देते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि किसी को भी अगर इस शादी से आपत्ति हो तो वह उसे दर्ज करा सके. कोई भी आपत्ति न आने की स्थिति में 30 दिनों के बाद शादी करवा दी जाती है.


विवाह के इच्छुक जोड़े की जानकारी सार्वजनिक कर देना गलत- वकील


मामला आज चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा. याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील कलीस्वरम राज ने दलील दी कि विवाह के इच्छुक जोड़े की पूरी जानकारी को इस तरह सार्वजनिक कर देना गलत है. वकील ने बताया कि निजता को बतौर मौलिक अधिकार खुद सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी है. इस तरह की जानकारी को सार्वजनिक कर देने से कई बार जोड़ों की सुरक्षा को खतरा भी हो जाता है.


इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “आपकी बात सही हो सकती है. लेकिन क्या आपको यह पता नहीं है कि ऐसा प्रावधान किस लिए रखा गया है. अगर कोई किसी की पत्नी से शादी करना चाहता है तो उस व्यक्ति को इसकी जानकारी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? जानकारी को सार्वजनिक किए बिना उसे कैसे पता चल पाएगा? अगर कोई जोड़ा घर से भाग गया है और उनका विवाह हो पाने में वाकई कोई कानूनी अड़चन है तो परिवार को उनके बारे में जानकारी क्यों नहीं मिलनी चाहिए?”


हमारा विरोध बहुत सीमित है- कोर्ट से वकील


वकील ने कोर्ट के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “हम मैरिज ऑफिसर की तरफ से शादी से पहले किसी भी तरह से इंक्वायरी करने का विरोध नहीं कर रहे हैं. हमारा विरोध बहुत सीमित है. हम जानकारी को सार्वजनिक रूप से नोटिस बोर्ड पर लगाए जाने के खिलाफ हैं. लॉ कमीशन भी अपनी रिपोर्ट में इस प्रावधान को गलत बता चुका है.“


इसके बाद बेच के तीनों जजों ने कुछ देर तक आपस में चर्चा की और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया. स्पेशल मैरिज एक्ट के इस प्रावधान से निजता का उल्लंघन होने का मसला पहले भी उठता रहा है. यह पहला मौका है जब कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर इस पर जवाब देने के लिए कहा है.