Supreme court News: 'सुप्रीम कोर्ट सबसे इंडिसिप्लिन्ड', जानें वकीलों ने ऐसा क्या किया कि जस्टिस गवई ने की ऐसी टिप्पणी
Supreme Court On Noisy Lawyers: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गवई की बेंच में चल रही बहस के दौरान वकील लगातार हंगामा कर रहे थे. इस पर सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस में ऐसा कहा जो सुर्खियां बन गईं.

Supreme Court Comment On Lawyes : देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट हर अव्यवस्था में कानून का शासन स्थापित करने की सुप्रीम संस्था है लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह सर्वाधिक इंडिसीप्लिन्ड भी हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट के चौथे सीनियर जस्टिस, बीआर गवई ने कुछ ऐसी ही टिप्पणी की है. मंगलवार (26 सितंबर) को उनकी बेंच में मामलों की सुनवाई के दौरान वकीलों ने इतना हंगामा किया कि झल्ला कर उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट सर्वाधिक इंडिसीप्लिन्ड कोर्ट है."
बार एंड बेंच ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया, "जस्टिस गवई ने चल रही बहस के दौरान लगातार व्यवधान के लिए उनके सामने पेश होने वाले वकीलों को फटकार लगाई और कहा: “हमारे लिए जो हाई कोर्ट से आ रहे हैं, यह ( सुप्रीम कोर्ट) सबसे अनुशासनहीन (इंडिसीप्लिन्ड) अदालत है. कोई भी कहीं से भी बोल सकता है. सबसे अनुशासनहीन!”
देश के मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस गवई?
न्यायमूर्ति गवई मई 2025 में छह महीने की अवधि के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने की कतार में हैं. वह भारत के पूर्व सीजेआई केजी बालाकृष्णन की सेवानिवृत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले केवल दूसरे दलित न्यायाधीश हैं. अगर वह सीजेआई बनते हैं तो भारत के दूसरे दलित सीजेआई होंगे.
देश के बड़े मामलों की सुनवाई का हिस्सा रहे हैं जस्टिस गवई
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, न्यायमूर्ति गवई कई महत्वपूर्ण मामलों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें अनुच्छेद 370, जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध, प्रशांत भूषण अवमानना मामले विशेष रूप से चर्चित रहे हैं.
उन्हें नवंबर 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और 16 सालों बाद सुप्रीम कोर्ट में उनकी पदोन्नत हुई. भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाले कॉलेजियम द्वारा 2019 में पदोन्नति के लिए उनके नाम की सिफारिश की गई थी.
उसके पहले 1985 से 18 सालों (2003 तक) तक वकील के रूप में उन्होंने विभिन्न मुकदमों में अपनी काबिलियत स्थापित की थी. जस्टिस गवई एक सशक्त राजनीतिक परिवार से हैं. उनके पिता, आरएस गवई, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) गुट का नेतृत्व करते थे. वह पूर्व संसद सदस्य और राज्यपाल भी थे.
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