सुप्रीम कोर्ट के सात वरिष्ठतम जजों की बेंच जस्टिस कर्नन के खिलाफ खुद संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है. उन पर अदालत की अवमानना का आरोप है. उन्हें 13 फरवरी को पेश होना था. उनके नहीं आने पर सुप्रीम कोर्ट ने आज की तारीख तय की थी. लेकिन वो आज भी पेश नहीं हुए. जिसके बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ ज़मानती वारंट जारी कर दिया.
वारंट ज़मानती होने के वजह से अभी जस्टिस कर्नन के गिरफ्तार होने की उम्मीद कम है. माना जा रहा कि अगर अगली सुनवाई में भी वो पेश नहीं हुए तो कोर्ट गैर जमानती वारंट जारी कर देगा.
लगातार विवाद में रहने वाले जस्टिस कर्नन को ये नोटिस पीएम को लिखी चिट्ठी की वजह से जारी किया गया है. इस चिट्ठी में उन्होंने 20 जजों को नाम लेकर भ्रष्ट बताया है. न्यायपालिका के इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी हाई कोर्ट जज पर इस तरह की कार्रवाई शुरू हुई हो.
इससे पहले भी वो खुद मद्रास हाई कोर्ट से अपने ट्रांसफर के आदेश पर रोक लगाने, हाई कोर्ट चीफ जस्टिस पर अवमानना का मुकदमा चलाने की धमकी देने जैसी कई विवादित बातों के लिए चर्चा में रह चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट से टकराव की मुद्रा में नज़र आ रहे जस्टिस कर्नन ने कोर्ट के रजिस्ट्रार को चिट्ठी भेज कर अपने खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई को गैरकानूनी बता चुके हैं. इस चिट्ठी में उन्होंने आरोप लगाया था कि दलित वर्ग से होने के चलते उन्हें परेशान किया जा रहा है. साथ ही, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर पर भी अपने खिलाफ पूर्वाग्रह का आरोप लगाया था.
अब एक और चिट्ठी भेज कर उन्होंने चीफ जस्टिस और वरिष्ठ जजों से व्यक्तिगत रूप से मिलने की दरख्वास्त की है. सुनवाई के दौरान खुद चीफ जस्टिस ने इस बात की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस तरह की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता. जस्टिस कर्नन को कोर्ट में पेश होना चाहिए.
एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, "जस्टिस कर्नन को आज पेश होना था. वो न पेश हुए, न ही पेश होने की कोई वजह बताई. कोर्ट को ये अधिकार है कि वो ज़मानती वारंट जारी करे."
सात जजों के बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा, "हमारे पास उन्हें कोर्ट में बुलाने का और कोई रास्ता नहीं बचा. हमें ज़मानती वारंट जारी करना होगा." वारंट में ज़मानत के लिए 10 हज़ार रुपये के निजी मुचलके की शर्त रखी गयी है. पश्चिम बंगाल के डीजीपी से वारंट की तामील कराने को कहा गया है.