नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर अक्सर तीखी टिप्पणियां करने वाले वकील प्रशांत भूषण को कोर्ट ने अवमानना का नोटिस भेजा है. यह नोटिस भूषण के 2 ट्वीट के लिए भेजा गया है. एक ट्वीट में उन्होंने पिछले 4 चीफ जस्टिस पर लोकतंत्र को तबाह करने में भूमिका निभाने का आरोप लगाया था. दूसरे ट्वीट में उन्होंने बाइक पर बैठे मौजूदा चीफ जस्टिस की तस्वीर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में ट्विटर को भी पक्षकार बनाते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है.
28 जून को चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की एक तस्वीर सामने आई थी. इसमें वो महंगी बाइक पर बैठे नज़र आ रहे थे. बताया जाता है कि मोटर बाइक के बेहद शौकीन जस्टिस बोबड़े अपने गृह नगर नागपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान, वहां खड़ी एक महंगी बाइक पर बहुत थोड़े समय के लिए बैठे थे. रिटायरमेंट के बाद अच्छी बाइक खरीदने की उनकी इच्छा की जानकारी मिलने पर एक स्थानीय डीलर ने उन्हें दिखाने के लिए ये बाइक भेजी थी. इस तस्वीर पर प्रशांत भूषण ने टिप्पणी की थी कि CJI ने सुप्रीम कोर्ट को आम लोगों के लिए बंद कर दिया है और खुद बीजेपी नेता की 50 लाख रुपये की बाइक चला रहे हैं.
मध्य प्रदेश के गुना के रहने वाले एक वकील माहेक माहेश्वरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस ट्वीट की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के बंद होने का दावा झूठा है. चीफ जस्टिस पर किसी पार्टी के नेता से बाइक लेने का आरोप भी गलत है. प्रशांत भूषण ने जानबूझकर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया और लोगों की नज़र में न्यायपालिका की छवि खराब करने की कोशिश की. इसके लिए उन्हें कोर्ट की अवमानना का दंड मिलना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मुकदमा शुरू करने से पहले याचिकाकर्ता को एटॉर्नी जनरल से सहमति लेनी होती है. माहेक माहेश्वरी ने ऐसा नहीं किया था. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज लिखवाए गए आदेश में कहा है, “सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने हमसे यह पूछा था कि याचिकाकर्ता ने अटॉर्नी जनरल की सहमति नहीं ली है. ऐसे में क्या इस याचिका को सुनवाई के लिए लगाया जा सकता है. हमने याचिका में बताए गए तथ्यों को देखने के बाद खुद ही इस मसले पर संज्ञान लेने का फैसला लिया है. ऐसे में अब एटॉर्नी जनरल की मंजूरी नहीं है. हम अवमानना की कार्रवाई शुरू कर रहे हैं."
जजों ने प्रशांत भूषण के एक और ट्वीट पर भी संज्ञान लिया है. 27 जून के इस ट्वीट में भूषण ने यह लिखा था कि पिछले कुछ सालों में देश में लोकतंत्र को तबाह कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के पिछले 4 चीफ जस्टिस की भी इसमें भूमिका रही है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि पहली नजर में भूषण के यह दोनों ट्वीट अवमाननापूर्ण लगते हैं. यह ट्वीट लोगों की निगाह में न्यायपालिका खासतौर पर चीफ जस्टिस के पद की गरिमा को गिराने वाले हैं.
कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना का नोटिस जारी कर मामले पर जवाब देने के लिए कहा है. कोर्ट ने एटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर मसले पर पक्ष रखने के लिए कहा है. इस मामले में ट्विटर को भी पक्षकार बनाया गया है. ट्विटर की तरफ से आज पेश वरिष्ठ वकील साजन पोवय्या ने कहा, “इस मामले में हमारी कोई भूमिका नहीं है. इसलिए हमें इस पर विशेष कुछ नहीं कहना है. अगर कोर्ट आदेश देगा तो हम विवादित ट्वीट को हटा देंगे." सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर को भी लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई की अगली तारीख 5 अगस्त मुकर्रर कर दी है.
गौरतलब है कि प्रशांत भूषण के ऊपर पहले से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के दो मुकदमे लंबित हैं. इनमें लंबे अरसे से कोई सुनवाई नहीं हुई है. इनमें से एक मामला 2009 में तहलका मैगज़ीन को दिए प्रशांत भूषण के एक इंटरव्यू से जुड़ा है. इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि पिछले 16 चीफ जस्टिस में से आधे भ्रष्ट थे. कोर्ट ने इस मामले को शुक्रवार, 24 जुलाई को सुनवाई के लिए लगाया है.
ये भी पढ़ें:
मुख्यमंत्री के भाई अग्रसेन गहलोत के घर, दुकान पर ईडी का छापा, पहली बार गहलोत परिवार पर कसा शिकंजा