नई दिल्लीः मकान खरीदारों और बिल्डरों के लिए पूरे देश में एक मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट बनाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि बिल्डर की तरफ से बनाए जाने वाले एग्रीमेंट में कई अस्पष्ट शर्तें होती हैं. जिनके चलते बाद में खरीदार को नुकसान उठाना पड़ता है. इस मसले पर कोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय के अलावा कर्नाटक के रहने वाले जिम थॉमसन, नागार्जुना रेड्डी, तरुण गेरा समेत कुल 125 लोगों ने याचिका दखिल की है. कर्नाटक के याचिकाकर्ता अलग-अलग बिल्डरों से परेशान हैं. जबकि अश्विनी उपाध्याय ने पूरे देश की समस्या याचिका में उठाई है. सभी याचिकाओं में मांग की गई है कि कोर्ट केंद्र को मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट बनाने को कहे.


याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मकान के लिए एडवांस देते समय बिल्डर एक लंबा-चौड़ा एग्रीमेंट खरीदार के सामने रख देते हैं. कई पन्नों के इस एग्रीमेंट को पढ़ना और समझ पाना खरीदार के लिए संभव नहीं होता. वह मजबूरन उस पर दस्तखत कर देता है. एग्रीमेंट की शर्तें पूरी तरह बिल्डर की तरफ झुकी होती हैं. बाद में मकान पाने में देरी या दूसरी दिक्कतों पर खरीदार कानूनी कार्रवाई भी नहीं कर पाता.


खरीदारों से कई तरह से गैरजरूरी पैसे ले लिए जाते हैं


याचिकाओं में बताया गया है कि इस समय होने वाले ज़्यादातर एग्रीमेंट में खरीदार को किश्त न चुकाने पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज देना पड़ता है. पर बिल्डर फ्लैट देने में देरी करे तो वह बस 5 रुपए प्रति वर्ग गज की दर से मुआवजा देता है. मकान खरीदारों से और कई तरह से गैरजरूरी पैसे ले लिए जाते हैं. 2016 में केंद्र ने मकान निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए रेरा एक्ट बनाया. उस एक्ट में दिए गए अधिकारों की रक्षा के लिए उसे मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट भी बनाना चाहिए.


आज यह मामला जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच में लगा. बेंच ने शुरू में ही साफ कर दिया कि वह उन अर्ज़ियों पर सुनवाई नहीं करेगा जिसमें किसी विशेष बिल्डर के खिलाफ राहत मांगी गई है. लेकिन वह पूरे देश के लिए एक समान नियम बनाने की मांग पर विचार करना चाहता है. जजों ने जानना चाहा कि क्या बिल्डर-बायर या एजेंट-बायर मॉडल एग्रीमेंट बनाने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है या राज्य भी ऐसा कर सकते हैं.


याचिकाकर्ता ने मॉडल एग्रीमेंट तैयार करने को सही बताया


याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्य के लिए पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने केंद्र की तरफ से ही मॉडल एग्रीमेंट तैयार करने को सही बताया. उन्होंने कहा कि RERA की धारा 41 और 42 के तहत केंद्र एक प्रारूप तैयार कर सकता है. इसे राज्य अपने यहां लागू कर लें. मामले में मेनका गुरुस्वामी समेत दूसरे वकीलों ने भी दलीलें रखीं. याचिकाकर्ताओं की मांग पर सहमति जताते हुए कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर दिया. जजों ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है. इस तरह का मॉडल एग्रीमेंट मकान खरीदारों को शोषण से बचाने में मददगार साबित होगा.


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