एमपी में राज्य सरकार के तुरंत बहुमत परीक्षण की मांग पर SC ने नोटिस जारी किया, कल सुनवाई
मध्य प्रदेश में सियासी घमासान के बीच मध्य प्रदेश में तुरंत राज्य सरकार के बहुमत परीक्षण की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटिस जारी किया है.
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में तुरंत राज्य सरकार के बहुमत परीक्षण की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटिस जारी किया है. मामले पर अब कल सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई होगी. एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और 9 बीजेपी विधायकों ने याचिका दायर कर कहा है कि राज्य की कांग्रेस सरकार अपने 22 विधायकों के इस्तीफे के चलते बहुमत खो चुकी है, लेकिन बहुमत परीक्षण से बचने की कोशिश कर रही है.
दरअसल, कल यानी 16 मार्च को राज्यपाल के आदेश के मुताबिक विधानसभा में कमलनाथ सरकार का बहुमत परीक्षण होना था, लेकिन ऐसा करने की जगह विधानसभा के सत्र को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया. इसके तुरंत बाद कल ही शिवराज सिंह चौहान और नौ बीजेपी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी.
आज यह मामला जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की बेंच में सुनवाई के लिए लगा. सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "दूसरे पक्ष से कोई यहां मौजूद नहीं है. ऐसे में हमें उन्हें नोटिस जारी करना होगा." इस पर बीजेपी नेताओं के लिए पेश वरिष्ठ वकील और पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, "ऐसा जानबूझकर किया गया है. वह चाहते हैं कि कोर्ट नोटिस जारी करे और उन्हें एक दिन और मिल जाए."
इस पर जजों का कहना था, "दूसरे पक्ष को सुने बिना कोई आदेश नहीं दिया जा सकता. नोटिस जारी करना किसी भी मामले में एक सामान्य प्रक्रिया है और वह ऐसा करने जा रहे हैं." इसके बाद कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि कल मामले में आगे की सुनवाई होगी.
मुकुल रोहतगी ने कांग्रेस नेताओं की मंशा पर शक जताते हुए कहा, "वह यह कह सकते हैं कि उन्हें नोटिस नहीं मिला है और जवाब दाखिल करने के नाम पर कल भी सुनवाई को टलवाने की कोशिश कर सकते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि नोटिस को औपचारिक तरीकों के अलावा ईमेल या व्हाट्सएप के जरिए भी ईमेल या व्हाट्सएप के जरिए भी भेजा जाए.
बीजेपी नेताओं ने अपनी याचिका में 1994 में एस आर बोम्मई मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है. इस फैसले में कहा गया था कि सरकार का बहुमत परीक्षण विधानसभा के फ्लोर पर ही किया जा सकता है. इसके अलावा याचिका में रामेश्वर प्रसाद, नबाम रेबिया और जगदंबिका पाल जैसे मामलों के फैसले का भी हवाला दिया गया है. उनमें भी विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की बात कही गई थी. साथ ही, याचिका में कर्नाटक और महाराष्ट्र का उदाहरण भी दिया गया है. इन दोनों ही राज्यों में सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया था. बीजेपी नेताओं ने मांग की है कि इस सिद्धांत का पालन मध्य प्रदेश के मामले में भी हो और सुप्रीम कोर्ट तुरंत फ्लोर टेस्ट का आदेश दे.
आज कांग्रेस के बागी विधायकों ने भी एक अर्जी दाखिल की. उनकी तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा, "कुल 22 विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं. इनमें से सिर्फ 6 के इस्तीफे को स्वीकार किया गया है. इससे स्पीकर की दुर्भावना नजर आ रही है. विधायकों ने अपनी इच्छा से इस्तीफा दिया है. लेकिन स्पीकर उसे किसी तरह से लटका कर सरकार की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर भी नोटिस जारी कर दिया. अब दोनों मामलों पर कल सुनवाई होगी.
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