CAG के चयन के लिए कॉलेजियम बनाने की मांग पर SC का नोटिस, याचिकाकर्ता ने कहा- पद की निष्पक्षता के लिए जरूरी
याचिकाकर्ता ने कहा कि पिछले कुछ समय में CAG की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक यानी CAG के चयन के लिए कमेटी बनाने की मांग पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन (CPIL) की याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इस याचिका को इसी विषय पर पहले से लंबित अनुपम कुलश्रेष्ठ की याचिका के साथ जोड़ दिया है. अब दोनों पर एक साथ सुनवाई होगी.
CPIL की याचिका में कहा गया है कि अभी CAG की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं. इस पद की अहमियत को देखते हुए इसके लिए योग्य और निष्पक्ष व्यक्ति का चयन जरूरी है इसलिए, सुप्रीम कोर्ट प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की कमेटी के जरिए CAG के चयन का आदेश दे.
जस्टिस सूर्य कांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच शुरू में इस याचिका से सहमत नजर नहीं आई. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 148 में CAG की नियुक्ति को लेकर जो लिखा है, कोर्ट उसमें बदलाव नहीं कर सकता. संविधान सभा ने CAG की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को लेकर काफी बहस हुई थी. CAG के पद को किसी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए संविधान में यह व्यवस्था बनाई गई कि इस पद पर बैठे व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट जज जैसी प्रक्रिया के जरिए ही हटाया जा सकता है. अब उनकी चयन प्रक्रिया में बदलाव की मांग संविधान को दोबारा लिखने जैसी बात होगी.
इसका जवाब देते हुए याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि पिछले कुछ समय में CAG की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठने लगे हैं. CAG के चयन के लिए निष्पक्ष कमेटी बनाने की मांग को संविधान को नए सिरे से लिखना नहीं कहा जा सकता. कमेटी बना कर चयन संविधान निर्माताओं की उस भावना के अनुरूप होगा जिसमें उन्होंने निष्पक्ष CAG की कल्पना की थी. प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट CBI निदेशक और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए भी कमेटी बनाने का आदेश दे चुका है. इस मामले में भी ऐसा किया जाना चाहिए.
आखिरकार जज इस याचिका पर नोटिस जारी करने पर सहमत हो गए. प्रशांत भूषण ने उन्हें यह भी बताया कि पूर्व डिप्टी CAG अनुपम कुलश्रेष्ठ की मिलती-जुलती याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी, 2024 में ही नोटिस जारी कर दिया था. उसके बाद से वह याचिका अब तक सुनी नहीं गई है. केंद्र ने उस पर जवाब भी दाखिल नहीं किया है. इस पर जजों ने दोनों याचिकाओं पर साथ सुनवाई की बात कही. ध्यान रहे कि अनुपम कुलश्रेष्ठ की याचिका में प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर, नेता विपक्ष, संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कॉलेजियम के जरिए CAG के चयन की मांग की गई है.
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