(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ओबीसी जातियों की गणना और आंकड़ों के प्रकाशन पर SC ने एक बार फिर मांगा जवाब
तेलंगाना के रहने वाले वकील जी मल्लेश यादव और अल्ला रामाकृष्णा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिका में जनगणना के दौरान ओबीसी जातियों की गणना और जाति आधारित आंकड़ों के प्रकाशन की मांग की गई है.
नई दिल्ली: जनगणना के दौरान ओबीसी जातियों की गणना और जाति आधारित आंकड़ों के प्रकाशन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. तेलंगाना के रहने वाले वकील जी मल्लेश यादव और अल्ला रामाकृष्णा ने इस मुद्दे पर याचिका दाखिल की थी. पिछले साल एक अन्य याचिकाकार्ता टिंकू सैनी की यही मांग करनेवाली याचिका पर 15 अक्टूबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था. देश की सर्वोच्च अदालत ने अब दोनों याचिकाओं को मिलाकर एक साथ सुनवाई करने का फैसला किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस
शीर्ष अदालत में दाखिल याचिकाओं में मांग की गई है कि ओबीसी जातियों की अलग-अलग संख्या और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आंकड़े जुटाना बहुत ज़रूरी है. आंकड़ों के अभाव में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट किसी जाति विशेष के लिए लागू किए गए आरक्षण को खारिज कर देते हैं. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, संविधान का अनुच्छेद 16(4) सरकार को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को समानता दिलाने के लिए विशेष व्यवस्था बनाने का अधिकार देता है.
ओबीसी जातियों के आंकड़ों के प्रकाशन की मांग
इसी आधार पर ओबीसी जातियों को नौकरी और उच्च शिक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. लेकिन, आंकड़ों के अभाव में यह ठीक तरह तय नहीं हो पाता कि क्या किसी वर्ग के लिए अलग से बंदोबस्त की जरूरत है. टिंकू सैनी की याचिका पर चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, जनगणना कमिश्नर और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को नोटिस जारी किया था. आज जी मल्लेश यादव और अल्ला रामाकृष्णा की याचिका भी इसी बेंच के सामने लगी. इस याचिका में गृह मंत्रालय और पिछड़ा वर्ग आयोग के साथ केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी पक्षों से जवाब की मांग की है.
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