Supreme Court On Caller Name: अगर आपको किसी अनजान नंबर से कॉल आए और आपके फोन की स्क्रीन पर कॉलर का सही नाम दिखे, तो कैसा रहेगा? निश्चित रूप से यह आपको तय करने में मदद करेगा कि आपको उस कॉल को रिसीव करना है या नहीं. मोबाइल कॉल के जरिए होने वाली ठगी से भी आपका काफी हद तक बचाव हो सकेगा. CNAP यानी कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन नाम की इस सेवा पर टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी (TRAI) काफी समय से चर्चा कर रही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से पूछ लिया है कि इसे कब शुरू किया जाएगा.


चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने बेंगलुरु के रहने वाले याचिकाकर्ता गौरीशंकर की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मार्च के पहले सप्ताह में मामले पर सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि लोग तरह-तरह के फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं. आम लोगों के अलावा जांच एजेंसियों और बैंकों के लिए भी फर्जी कॉल एक बड़ी समस्या बन चुके हैं.


केंद्र के जवाब का इंतजार
याचिकाकर्ता ने कहा कि CNAP इससे बचाव का एक अच्छा उपाय है. लगभग 3 साल से इसकी चर्चा हो रही है, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "हम भी इस समस्या को समझते हैं. केंद्र का जवाब आने दीजिए. फिर हम इस बारे में आगे चर्चा करेंगे."


CNAP सेवा में दिखेगा कॉलर का पहचान पत्र वाला नाम
दरअसल, इस समय लोग ट्रूकॉलर (Truecaller) जैसे ऐप के जरिए कॉलर के बारे में पता करने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस तरह के ऐप अपने यूजर्स से मिली जानकारी के आधार पर ही कॉलर का नाम डिस्प्ले करते हैं. इसमें गलती होने की काफी संभावना रहती है. CNAP सेवा में कॉलर का वही नाम स्क्रीन पर दिखेगा, जिस नाम का पहचान पत्र दिखा कर उसने मोबाइल का कनेक्शन लिया है. यानी यह वास्तविक नाम होगा. अगर कॉलर ने कोई ठगी की तो उसकी शिकायत और जांच में आसानी होगी.






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