Uddhav Thackeray Vs Eknath Shinde: शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक 37 विधायकों को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है. उद्धव गुट के विधायक सुनील प्रभु की याचिका में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के फैसले को चुनौती दी गई है. 10 जनवरी को दिए फैसले में स्पीकर ने सीएम शिंदे समर्थक विधायकों को अयोग्य करार देने से मना कर दिया था. साथ ही, शिंदे गुट को असली शिवसेना माना था.
इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में सीएम शिंदे और उनके खेमे के अन्य विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करने पर भी सवाल उठाया गया है, जिन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप था.
10 जनवरी को स्पीकर ने क्या फैसला सुनाया था?
स्पीकर ने 10 जनवरी को व्यवस्था दी कि शिंदे के नेतृत्व वाला समूह ही असली शिवसेना है क्योंकि इसके पास विधायिका और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी बहुमत है. नार्वेकर ने 2018 में ठाकरे द्वारा नेतृत्व संरचना में बदलावों को भी खारिज कर दिया और कहा कि वे 1999 के शिवसेना संविधान के अनुरूप नहीं थे, न ही चुनाव आयोग के पास इन संशोधनों का कोई रिकॉर्ड था.
इसके अलावा, अध्यक्ष ने कहा कि तत्कालीन मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने पद पर बने रहने की पार्टी की इच्छा को प्रतिबिंबित नहीं किया, क्योंकि 21 जून 2022 को पार्टी में प्रतिद्वंद्वी गुट के उभरने के बाद नए मुख्य सचेतक भरत गोगावले वैध रूप से निर्वाचित मुख्य सचेतक थे.
स्पीकर का फैसला उद्धव ठाकरे के लिए था झटका
स्पीकर का बहुप्रतीक्षित फैसला उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा झटका था, जिन्होंने अपने पिता दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित मूल शिवसेना को शिंदे के हाथों खो दिया. विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दोनों पक्षों की क्रॉस-याचिकाएं खारिज किए जाने के साथ ठाकरे के 13 विधायकों के विधायक समूह - जिनमें उनके बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे भी शामिल हैं - को अयोग्य घोषित नहीं किया गया है और वे अपने शेष कार्यकाल तक विधायक बने रहेंगे.
यह भी पढ़ें- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने क्या कुछ कहा?