Supreme Court On The Kerala Story: 'द केरला स्टोरी' पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार की खिंचाई की है. कोर्ट ने कहा है कि जब पूरे देश में फिल्म दिखाई जा रही है तो पश्चिम बंगाल सरकार को ही क्यों दिक्कत है? सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए बुधवार (17 मई) को अगली सुनवाई की बात कही.


 फिल्म के निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तमिलनाडु में भी फिल्म का प्रदर्शन नहीं हो पा रहा है. इस पर कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से भी जवाब दाखिल करने को कहा.  5 मई को पूरे देश में रिलीज हुई फिल्म 'द केरला स्टोरी' बॉक्स ऑफिस पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने राज्य में इस पर रोक लगा दी है. सोमवार (8 मईः को जारी राज्य सरकार के आदेश में कहा गया है कि इस फिल्म से शांति व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसके विरोध में फिल्म के निर्माता सनशाइन पिक्चर्स और विपुल अमृतलाल शाह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।


याचिका में क्या है?
फिल्म निर्माताओं की याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का सर्टिफिकेट मिलने के बाद कोई राज्य फिल्म का प्रदर्शन नहीं रोक सकता है.  याचिका में फिल्म 'आरक्षण' और 'पद्मावत' के मामलों में 2011 और 2018 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया गया है. इन फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर कोई भी राज्य किसी फिल्म के प्रदर्शन को नहीं रोक सकता. 


क्या दलील दी गई?
फिल्म के निर्माताओं की तरफ से जिरह करते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से लगाई गई रोक तुरंत हटाई जानी चाहिए. तमिलनाडु में भी थिएटर मालिक राजनीतिक दबाव में फिल्म नहीं दिखा रहे हैं. वहां की राज्य सरकार को फिल्म का प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए कहा जाना चाहिए.


सुनवाई का विरोध करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह याचिका पहले हाई कोर्ट में दाखिल होनी चाहिए थी, सीधे सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई नहीं करनी चाहिए. 


इसके बाद सिंघवी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले को सुनना चाहता है तो वह बताना चाहेंगे कि राज्य सरकार को कई खुफिया रिपोर्ट मिली थी. उनमें फिल्म से शांति-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताई गई थी. इसी वजह से रोक लगाई गई है, लेकिन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच इस दलील से सहमत नजर नहीं आई. चीफ जस्टिस ने कहा, "पूरे देश में फिल्म दिखाई जा रही है तो फिर पश्चिम बंगाल में समस्या क्यों है? फिल्म अच्छी है या बुरी, इसे लोगों को तय करने दीजिए। फिल्म पर रोक लगाना सही नहीं है."


तमिलनाडु सरकार के वकील ने क्या कहा?
तमिलनाडु सरकार के लिए पेश वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि राज्य सरकार ने कोई रोक नहीं लगाई है. शांति-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते थिएटर मालिक खुद ही फिल्म नहीं दिखा रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा, "तमिलनाडु सरकार लिखित में दे कि उसने कोई रोक नहीं लगाई है और वह फिल्म का प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए उचित सुरक्षा देगी. "


इस फिल्म में केरल की उन लड़कियों की कहानी दिखाई गई है, जिन्होंने कथित तौर पर लव जिहाद का शिकार होकर धर्म परिवर्तन कर लिया और उन्हें आतंकी संगठन आईएसआईएस की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए भारत से बाहर भेज दिया गया. फिल्म को लेकर कई संगठनों ने विरोध जताया, लेकिन केरल हाई कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट ने फ़िल्म पर रोक लगाने से मना कर दिया था. 


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