Justice KM Joseph: 'मैं ईसाई हूं, इसके बावजूद मुझे हिंदू धर्म पसंद है...', बोले SC के जस्टिस केएम जोसेफ
Justice KM Joseph On Hinduism: जस्टिस एम जोसेफ ने कहा, "हिंदू धर्म महान है. हमें इस महान धर्म पर गर्व होना चाहिए और हमें इसे नीचा नहीं दिखाना चाहिए."
Justice KM Joseph Said I Like Hinduism: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ ने हिंदू धर्म को लेकर बड़ी बात कही है. उन्होंने सोमवार (27 फरवरी) को कहा, "वह ईसाई हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें हिंदू धर्म से लगाव है." उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की जब वह देश में प्राचीन, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों के मूल नामों को बहाल करने के लिए आयोग का गठन करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. इस पीठ में जस्टिस बीवी नागरत्न भी शामिल थे.
हिंदू धर्म पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा, "यह एक महान धर्म है और इसे नीचा नहीं दिखाया जाना चाहिए." उन्होंने आगे कहा, "हिंदू धर्म जिस ऊंचाई पर पहुंचा है और उपनिषदों, वेदों एवं भगवद्गीता में जो उल्लेख किया गया है, कोई भी व्यवस्था उस तक नहीं पहुंची है." पीठ ने 'रिनेमिंग कमीशन' बनाए जाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है, "देश अतीत का कैदी बन कर नहीं रह सकता. धर्मनिरपेक्ष भारत सभी का है."
जस्टिस ने की हिंदू धर्म की तारीफ
हिंदू धर्म की तारीफ करते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा, "आध्यात्म ज्ञान में हिंदू धर्म बड़ी ऊंचाइयों पर पहुंचा है. हमें इस महान धर्म पर गर्व होना चाहिए और हमें इसे नीचा नहीं दिखाना चाहिए. हमें अपनी महानता पर गर्व होना चाहिए और हमारी महानता हमें उदार बनाती है. मैं इसे पढ़ने का प्रयत्न कर रहा हूं. आपको भी हिंदू धर्म के दर्शन पर डॉ. एस. राधाकृष्णन की किताब पढ़नी चाहिए." उन्होंने कहा, "केरल में कई राजा हैं, जिन्होंने गिरजाघरों एवं अन्य धार्मिक स्थानों के लिए जमीन दान दी थी."
अकबर पर क्या बोले जस्टिस जोसेफ
जस्टिस जोसेफ ने कहा, "आप सड़कों का नाम बदलने को अपना मौलिक अधिकार बता रहे हैं? आप चाहते हैं कि हम गृह मंत्रालय को निर्देश दें कि वह इस विषय के लिए आयोग का गठन करे?" उन्होंने आगे कहा, "आपने अकबर रोड का नाम बदलने की भी मांग की है. इतिहास कहता है कि अकबर ने सबको साथ लाने की कोशिश की. इसके लिए दीन-ए-इलाही जैसा अलग धर्म लाया." इस पर याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा, "इसे किसी सड़क के नाम तक सीमित न किया जाए, जिन लोगों ने हमारे पूर्वजों को अकल्पनीय तकलीफें दीं. जिनके चलते हमारी माताओं को जौहर जैसे कदम उठाने पड़े. उन क्रूर यादों को खत्म करने की जरूरत है."
'हिंदुत्व में कट्टरता की जगह नहीं'
इस पर पीठ ने कहा, "हम पर हमले हुए, यह सच है. क्या आप समय को पीछे ले जाना चाहते हैं? इससे आप क्या हासिल करना चाहते हैं? क्या देश में समस्याओं की कमी है? उन्हें छोड़ कर गृह मंत्रालय अब नाम ढूंढना शुरू करे?" कोर्ट ने कहा, "हिंदुत्व एक धर्म नहीं, जीवन शैली है. इसमें कट्टरता की जगह नहीं है. हिंदुत्व ने मेहमानों और हमलावरों सब को स्वीकार कर लिया. वह इस देश का हिस्सा बनते चले गए. बांटो और राज करो की नीति अंग्रेजों की थी. अब समाज को बांटने की कोशिश नहीं होनी चाहिए."