वायु सेना (Air Force) के शॉर्ट सर्विस कमिशन से रिटायर हुई 32 महिला अधिकारियों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा आदेश दिया है. इन महिलाओं को स्थायी कमीशन अधिकारियों की तरह का पेंशन लाभ मिलेगा. यह सेवानिवृत्त महिला अधिकारी उन अधिकारियों में शामिल हैं जिन्होंने महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन दिलाने की कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन अपने पक्ष में कोर्ट का फैसला आने से पहले ही रिटायर हो चुकी थीं. यानी 15 साल की सेवा के बाद भी बिना स्थायी कमीशन का दर्जा पाए रिटायर कर दी गई यह महिला अधिकारी, 20 साल तक सेवा करने वाले अधिकारियों की तरह का पेंशन पाएंगी.


2020 का ऐतिहासिक फैसला
17 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने सेना की महिला अधिकारियों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला दिया था. कोर्ट ने कहा था कि सेना में सेवा कर रही सभी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन मिलेगा. यानी वह रिटायरमेंट तक नौकरी कर सकेंगी. साथ ही महिला अधिकारियों को उनकी योग्यता के आधार पर कमांड यानी नेतृत्व वाले पद भी दिए जाएंगे.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उस समय सेना के अलग-अलग विभागों में काम कर रहे सभी 1653 महिला अधिकारियों के स्थायी कमीशन पाने का रास्ता साफ हो गया था. उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उन महिलाओं को भी लाभ जो 12 मार्च 2010 को आए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद से सेवा में बनी हुई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2010 में ही महिला अधिकारियों के पक्ष में फैसला आ चुका था. लेकिन सरकार के आनाकानी भरे रवैये के चलते इसे लागू होने में 9 साल से ज़्यादा का समय लग गया.


12 साल का संघर्ष लाया रंग
2010 में आए हाई कोर्ट के फैसले के बाद शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारी सेवा देती रहीं और आखिरकार उन्हें सेवा में 14 साल पूरे करने के आधार पर स्थायी कमीशन का लाभ मिला. लेकिन हाई कोर्ट के फैसले से पहले ही रिटायर हो चुकी महिला अधिकारियों को अपना हक पाने के लिए 12 साल इंतज़ार करना पड़ा. 90 के दशक में 5 साल के शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए नियुक्त हुई इन महिलाओं को 2 बार सेवा विस्तार मिला था. इस तरह उन्होंने 15 साल तक सेवा दी, लेकिन उन्हें स्थायी कमीशन दिए बिना रिटायर कर दिया गया था.


2006 से 2009 के बीच रिटायर हुई इन महिलाओं को सेवा में वापस लेना व्यवहारिक नहीं था. लंबे समय तक सेवा से दूर रहने और अधिक उम्र के चलते उन्हें वापस सेना में नहीं लिया जा सकता था. लेकिन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने उन्हें भी 20 साल को सेवा के बाद अधिकारियों को मिलने वाले पेंशन का हकदार करार दिया.


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