Telangana CM Revanth Reddy: सुप्रीम कोर्ट को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का एक बयान उन पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. बयान की जानकारी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में दिए जाने वाले अपने एक आदेश को बदलने पर विचार की बात कह दी. रेड्डी ने बीआरएस नेता के.कविता को सुप्रीम कोर्ट से मिली ज़मानत को राजनीतिक डील का नतीजा कहा था. इससे नाराज जजों ने रेड्डी के खिलाफ लंबित एक केस तेलंगाना से बाहर ट्रांसफर करने पर विचार करने की बात कह दी.


क्या है मामला?

 

रेवंत रेड्डी पर आरोप है कि 2015 में उन्होंने विधानपरिषद चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने के लिए एक निर्दलीय विधायक को पैसे दिए थे. उस समय रेड्डी तेलगु देशम पार्टी में थे. बीआरएस के 4 विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रेवंत के खिलाफ हैदराबाद में चल रहे इस मुकदमे को तेलंगाना से बाहर ट्रांसफर करने की मांग की है. उनका कहना है कि रेड्डी के सीएम बनने के बाद मामला प्रभावित हो रहा है. याचिका में यह भी कहा गया है कि रेड्डी राज्य के गृह मंत्री भी हैं. इसलिए, एंटी करप्शन ब्यूरो उन्हें रिपोर्ट करता है.

 

जजों ने पहले केस ट्रांसफर करने से मना किया


सुबह लगभग 11 बजे हुई सुनवाई में जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने केस को तेलंगाना से बाहर ट्रांसफर करने से मना किया. बेंच ने कहा कि ऐसा करना राज्य के जजों के प्रति अविश्वास जताने जैसा होगा. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि वह अपनी तरफ से केस में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त करेगा.

 

2 बजे पलट गया मामला

 


बेंच ने दोपहर 2 बजे विशेष पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की नियुक्ति का आदेश देने की बात कही थी. लेकिन 2 बजे जब बेंच बैठी तो उसने सीएम रेवंत रेड्डी के एक बयान पर सख्त नाराज़गी जताई. रेड्डी ने बीआरएस नेता के कविता की ज़मानत पर सवाल उठाते हुए यह बयान दिया था. रेड्डी ने कहा था, "सिसोदिया को 15 महीने में बेल मिली, केजरीवाल को अब तक नहीं मिली, लेकिन कविता को 5 महीने में मिल गई. कहा जा रहा है कि बीजेपी और बीआरएस में डील है."

 

ध्यान रहे कि जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ही कविता को जमानत दी थी. अपने आदेश पर रेड्डी की टिप्पणी को देखते हुए जस्टिस गवई ने कहा, "एक सीएम का ऐसा बयान देना समझ से परे है. अगर देश की सबसे बड़ी कोर्ट के प्रति उनके मन में यह सम्मान है, तो फिर उनका मुकदमा किसी और राज्य में ट्रांसफर कर देना ही बेहतर होगा. फिर तो यह भी कहा जा सकता है कि हम पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की नियुक्ति किसी राजनीतिक दल से पूछ के कर रहे हैं."


वकीलों ने बात संभालने की कोशिश की

 

रेड्डी के लिए पेश वरिष्ठ वकीलों मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने बात संभालने की कोशिश की. लेकिन जज इससे संतुष्ट नज़र नहीं आए. उन्होंने मामले की सुनवाई सोमवार, 2 सितंबर के लिए स्थगित कर दी.


ये भी पढ़ें: Bhart Dojo Yatra: क्या फिर भारत जोड़ने निकलेंगे राहुल गांधी? मार्शल आर्ट्स का वीडियो शेयर कर किया ऐलान